गणतंत्र दिवस 2019 (Republic Day 2019) पर, हम अपने सुधि पाठकों के लिए लाए बॉलीवुड फिल्मों के ऐसे संवाद जो बताते हैं कि बॉलीवुड में देशभक्ति का अर्थ कैसे बदल गया है। बॉलीवुड ने अपनी क्षमता के अनुसार, देशभक्ति की फिल्में प्रदान करके राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया, जो देश की मनोरम कहानियों के साथ देशवासियों की आत्मा को जगाती हैं। हाल के वर्षों में सभी खिलाडिय़ों और कई भुला दिए गए व्यक्तित्वों से, जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन समर्पित किया है, बायोपिक्स में देखा गया है।
जैसा कि भारत ने अपना 70 वां गणतंत्र दिवस मनाया है, हम बॉलीवुड फिल्मों के कुछ बेहतरीन संवादों को देखते हैं जो नए भारत की भावना को दर्शाते हैं।
परेश रावल ने हाल ही प्रदर्शित हुई ‘उरी’ में एक संवाद बोला है जो भारत की शक्ति को न सिर्फ बताता है अपितु इस बात का अहसास भी करवाता है कि दुश्मनों को ‘भारत’ को कमजोर समझने की प्रवृत्ति को छोडऩा पड़ेगा। उनका संवाद है, ‘अब तक हिंदुस्तान का बुरा चुका है, ये नया हिंदुस्तान है। ये घर मैं घुसेगा भी और मारेगा भी। यह एक बदला हुआ भारत है, नया भारत।’
कंगना रनौत को फिल्म ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी’ में एक सभा में देखा जा सकता है, जहाँ वह कहती हैं, ‘बेटी जब उठ खड़ी होती है तो विजय बड़ी हो जाती है। (जब बेटी लडऩे के लिए खड़ी होती है, तो जीत बड़ी होती है।) वह रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका निभाती हैं, जिसका नाम मूल रूप से मणिकर्णिका है, जो अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह में एक प्रमुख व्यक्ति थीं।
अभिनेत्री आलिया भट्ट ने फिल्म ‘राजी’ में एक भारतीय जासूस की भूमिका निभाई और फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए व्यापक प्रशंसा हासिल की। उसने भारत में जासूसी करने के लिए पाकिस्तानी सेना के एक मेजर से शादी की, जबकि वह अभी कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रही थी। फिल्म में उनके द्वारा बोला गया एक संवाद बहुत लोकप्रिय हुआ था—‘वतन के आगे कुछ नहीं. . . खुद भी नहीं’ (राष्ट्र सबसे पहले. . . .स्वयं से भी पहले)
जॉन अब्राहम और डायना पेंटी की फिल्म ‘परमाणु’ पिछले साल प्रदर्शित हुई जिसमें किस तरह से भारत परमाणु शक्तिशाली बना यह बताया गया था। चरमोत्कर्ष के बाद, जॉन कहते हैं, ‘हमने जो सोचा वो देश के लिए था, हमने जो किया वो देश के लिए है और हमने जो पाया वो देश का होगा’।
मनोज बाजपेयी ने फिल्म ‘अय्यारी’ में सही निर्णय लेने का राज साझा किया। वर्ष 2018 में प्रदर्शित ‘अय्यारी’ में वह कहते हैं, ‘जब आपके पास विकल्प हो और आप उलझन में हैं कि आपको करना क्या है. . . . टॉस कर लो. . . . क्योंकि सिक्का जब हवा में उठा है, एक पल ऐसा आता है जब आपको एकदम साफ हो जाता है. . . कि वास्तव में आपको क्या चाहिए।’
यह कुछ ऐसे संवाद हैं जो इन दिनों देशभक्ति से भरपूर फिल्मों में सुनाई पड़ते हैं। गत शुक्रवार को प्रदर्शित हुई मणिकर्णिका में और भी कई संवाद हैं, जिन्हें सुनने के बाद दर्शक सिनेमाघर में तालियाँ बजाता है। हालांकि संवाद लेखक के. विजयेन्द्र प्रसाद ने फिल्म की पृष्ठभूमि के अनुरूप संवाद नहीं लिखे हैं।