हिन्दी सिनेमा में श्वेत श्याम समय से ही हॉरर फिल्मों अर्थात् डरावनी फिल्मों को बनाने का प्रचलन रहा है। साठ के दशक में महल, बीस साल बाद, कोहरा इत्यादि ऐसी हॉरर फिल्में रहीं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की। जब रंगीन सिनेमा के दौर शुरू हुआ तब यदा-कदा हॉरर फिल्म का निर्माण होता था। लेकिन सत्तर के दशक में हिन्दी सिनेमा में निर्माता एफ.यू.रामसे ने हॉरर फिल्मों को बनाने की शुरूआत की। उस दौर में वे एक मात्र ऐसे निर्माता रहे जिन्होंने अपने बैनर रामसे ब्रदर्स के तले सिर्फ और सिर्फ हॉरर फिल्मों का निर्माण किया।
एफ.यू.रामसे के सात पुत्र थे जो फिल्म निर्माण के विभिन्न विभागों में कार्यरत थे। इन्हीं में से एक थे तुलसी रामसे, जो बतौर निर्देशक अपने बैनर की फिल्मों को बनाते थे। उन्होंने ‘दो गज जमीं के नीचे’, ‘बंद दरवाजा’, ‘वीराना’, ‘पुराना मंदिर’, ‘होटल’ इत्यादि फिल्मों को निर्देशक किया था। 14 दिसम्बर शुक्रवार आधी रात को उनका मुम्बई के कोकिलाबेन हॉस्पीटल में निधन हो गया। तुलसी रामसे के निधन के साथ ही हिन्दी सिनेमा में हॉरर फिल्मों के एक युग का अन्त हो गया है।
गौरतलब है कि भारतीय सिनेमा के हिन्दी सिनेमा में हॉरर श्रेणी की फिल्मों में सबसे लम्बे समय तक रामसे ब्रदर्स का दबदबा था। रामसे ब्रदर्स की हॉरर फिल्मों को देखने वाला एक सीमित दर्शक वर्ग था। इसके बावजूद उनकी फिल्मों को कभी भी असफलता हाथ नहीं लगी थी। वे कम लागत में, नए सितारों के साथ इस तरह की फिल्में बनाते थे, जो अपनी लागत आसानी से निकालने के बाद उन्हें कुछ मुनाफा भी दे जाती थी।
रामसे ब्रदर्स ने 30 से ज्यादा हॉरर फिल्मों का निर्माण व निर्देशन किया था। 1971 में बनाई उनकी पहली डरावनी फिल्म ‘दो गज जमीं के नीचे’ ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता प्राप्त की थी। इस फिल्म का रेडियो पर 10 बजे बाद प्रचार किया जाता था, जिसका नतीजा यह निकला कि सिनेमाघरों के बाहर ‘हाउसफुल’ के बोर्ड लगने लगे थे। सत्तर के दशक में जहाँ आमतौर पर एक फिल्म को बनाने में एक-डेढ वर्ष और लगभग 50 लाख की लागत आती थी, तब रामसे ब्रदर्स ने अपनी पहली फिल्म ‘दो गज जमीं के नीचे’ को मात्र 40 दिनों की शूटिंग और 3.50 रुपये के बजट में बना कर प्रदर्शित कर दिया था। इस फिल्म के निर्माण उनके पूरे परिवार में किया था। इसकी शूटिंग के उन्होंने किसी स्टूडियो को नहीं बल्कि महाबलेश्वर में 12 कमरों के एक गेस्ट हाउस को किराये पर लिया था। प्रदर्शन के पहले सप्ताह में इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर विराट कामयाबी प्राप्त की थी। कुल 3.50 लाख रुपये में बनाई गई इस फिल्म ने 45 लाख की कमाई की थी। वैसे रामसे ब्रदर्स की फिल्मों में मूल से सैक्स और सुपरनैचुरल पावर का कथानक शामिल रहता था।
तुलसीरामसे ने टीवी की दुनिया में भी कदम रखा था। उन्होंने जीटीवी के लिए ‘जी हॉरर शो’ का निर्माण किया था। इस शो को भी देर रात को प्रसारित किया जाता था। लगातार एक जैसे विषय पर बनने वाली उनकी हॉरर फिल्मों को बाद में असफलता का सामना करना पड़ा था। उनकी फिल्मों की असफलता का एक मुख्य कारण इन फिल्मों का गीत संगीत भी होता था। लेकिन उनके द्वारा बनाई गई ‘पुराना मंदिर’ और ‘होटल’ ऐसी फिल्में रहीं जिनके गीत संगीत ने जबरदस्त सफलता प्राप्त की थी।