पिछले एक माह से हिन्दुस्तान के हर अखबार, टीवी चैनल, गाँव की चौपाल और शहरों में स्थित चाय की थडिय़ों पर एक ही चर्चा-ए-आम हैं कि क्या निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक फिल्म 'पद्मावती' प्रदर्शित होगी या फिर यह 'किस्सा कुर्सी का' की तरह डिब्बाबंद हो जाएगी। राजस्थान से शुरू हुआ पद्मावती का विरोध धीरे-धीरे पूरे हिन्दुस्तान में फैला और अब यह राजनीतिक मोर्चे पर सतरंगी इन्द्रधनुष की तरह चमक रहा है।
पद्मावती को लेकर भारतीय जनता पाटी के बड़े-बड़े नेता अपना बयान दे रहे हैं। इनमें वे नेता भी शामिल हैं जिन्हें अपने शहर का इतिहास मालूम नहीं लेकिन वे पद्मावती के खिलाफ बोल रहे हैं। हाल ही में भाजपा के एक नेता सूरजपाल सिंह अम्मू ने यहाँ तक कह डाला कि, पद्मावती की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की नाक काटने लाने वाले को 5 करोड और सिर काटकर लाने वाले को 10 करोड रुपये दिए जाएंगे।
वही अब इस विवाद में नाना भी घुस गए है और उन्होंने दीपिका और पद्मावती का समर्थन करते हुए कहा है कि " किसी को जान से मारने की धमकी देना बेहद गलत है। इस तरह का विरोध किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। पद्मावती अभी तक रिलीज नहीं हुई है। आपको नहीं पता कि फिल्म में क्या दिखाया गया है। मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन मेरा मानना है कि दीपिका और भंसाली को धमकाना गलत और अस्वीकार्य है।"
वही आज ईशा गुप्ता ने भी पद्मावती का समर्थन करतें हुए पत्रकारों से कहा, भारत में, जब बलात्कार होता है तब कोई नहीं कहता कि हम इस पर या उस पर रोक लगा देंगे लेकिन फिल्म को इतनी तव्वजो इसलिए दी जा रही है क्योंकि सबको पता है इससे उन्हें भी फायदा मिलेगा।
बता दे, 'पद्मावती' में रणवीर सिंह और शाहिद कपूर भी हैं। राजपूत रानी पद्मावती से जुड़े तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के आरोप को लेकर फिल्म विवादों में है।
फिल्म एक दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से मंजूरी न मिलने के कारण इसकी रिलीज स्थगित कर दी गई।