'आजतक एजेंडा' पर शुक्रवार को अभिनेता धर्मेद्र ने वर्तमान फिल्म उद्योग के बारे में बात करतें हुए कहतें है कि आजकल फिल्म उद्योग 'सब्जी मंडी' बन गया है, जहां आप सब्जियां बेचते हैं, खरीदते हैं और सौदेबाजी करते हैं। आज कलाकार पैसों के लिए कहीं भी नाच रहे हैं और कहीं भी गा रहे हैं। जहां कहीं भी पैसा है, वहां जा रहे हैं, तेल मालिश भी कर रहे हैं। पैसे के लिए कुछ भी। आज पैसा सबकुछ है, हमारे समय में ऐसा नहीं था। उन्होंने कहाँ आज की फ़िल्मी दुनिया उनके युग से अलग है, क्योंकि आज कलाकार पैसों के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।
धर्मेद्र अपने करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं। उन्हें 'फूल और पत्थर', 'शोले', 'यादों की बारात', 'मेरा गांव मेरा देश' और 'चुपके चुपके' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।
वह नूतन, मीना कुमारी, देव आनंद, हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, अमजद खान, जितेंद्र, जया बच्चन, शर्मिला टैगोर, ओम प्रकाश, राखी सहित फिल्म उद्योग के कई बड़े दिग्गजों के साथ काम कर चुके हैं।
कई हिट फिल्में देने के बावजूद उन्हें कभी बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड
नहीं मिल पाया। फिल्म फेयर ने उन्हें उनके करियर के शुरुआत में एक
पुरस्कार बेस्ट टैलेंट के लिए दिया था और उसके बाद अंत में लाइफटाइम
अचीवमेंट का दूसरा पुरस्कार दिया था। क्या उन्हें इसे लेकर कोई मलाल है?
उन्होंने
कहा, "मैं अवॉर्ड लेने गया था, क्योंकि मुझे कहा गया था कि दिलीप कुमार
मुझे अवॉर्ड देंगे। मैं दिलीप साहब के लिए वहां गया था। मुझे फिल्मफेयर से
कोई मतलब नहीं था। इस इंडस्ट्री में आपको अवॉर्ड लेने आना चाहिए। मुझमें वो
शातिरपन और खूबी नहीं थी। लोग अवॉर्ड पाने के लिए ओछे तरीके अपनाते हैं।"
धर्मेद्र की अगली फिल्म 'यमला पगला दीवाना 3' है। यह फिल्म अगले साल रिलीज होगी।