2 News : नवाजुद्दीन की बेटी में एक्टिंग को लेकर है जबरदस्त दीवानगी, सुनील शेट्टी ने बताया पिता का संघर्ष

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्धिकी अपनी विशेष प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। साधारण नैन नक्श और पर्सनलिटी होने के बावजूद नवाजुद्दीन ने अपनी एक्टिंग से सब पर जादू कर डाला। वे बड़े-बड़े स्टार को टक्कर देते हैं। उन्होंने कड़ा संघर्ष करने के बाद बॉलीवुड में एक खास मुकाम हासिल कर लिया है। अब नवाज की बेटी शोरा भी फिल्मों में आना चाहती हैं। नवाज ने हाल में फिल्म कम्पैनियन को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि शोरा खुद को एक एक्ट्रेस बनने के लिए प्रशिक्षित कर रही हैं और 14 साल की उम्र में उसने अपने टीचर के सामने स्कूल परफॉर्मिंग आर्ट फैकल्टी में एडमिशन के लिए हाथ जोड़े और वर्ल्ड सिनेमा देख रही हैं।

मेरी बेटी अभी ट्रेनिंग ले रही है। वह खुद जाकर परफॉर्मिंग आर्ट फैकल्टी में भर्ती हो गई। हाथ जोड़कर टीचर के सामने उसने कहा कि मैं एक्टिंग सीखना चाहती हूं। शोरा अपने फाइनल ईयर में प्ले को परफॉर्म करेंगी। इसके लिए वह खुद को ट्रेंड कर रही हैं। वो ये सब खुद ही कर रही हैं। हालांकि मैंने शोरा से कभी भी एक्टिंग में करिअर बनाने को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं हर तरह से बेटी के जुनून का समर्थन कर रहा हूं।

जब नवाज से पूछा गया कि क्या वे शोरा को एक्टिंग के कुछ टिप्स देते हैं या फिर वह कभी इसके लिए उनके पास आई तो उन्होंने कहा कि नहीं, घर की मुर्गी दाल बराबर होती है न। वो बहुत सारी फिल्में देखती है, वो वर्ल्ड सिनेमा देखती है। वो केवल 14 की है और वो हर दिन एक फिल्म देखती है। उसने एक बार अपने परफॉर्मेंस की छोटी सी झलक दिखाई थी मुझे तो मैंने पूछा कि उसने ये कैसे किया। शोरा ने कहा कि पापा मैं पूरी तैयारी कर रही हूं, फिल्में देखती हूं मैं। तो ये इस तरह से है, ये उसका पैशन है, तो मैं और क्या कह सकता हूं।

सुनील शेट्टी ने भारती और हर्ष के पॉडकास्ट में पिता को किया याद

एक्टर सुनील शेट्टी (62) ने काफी संघर्ष के बाद बॉलीवुड में अच्छी पहचान बनाई है। हालांकि सुनील का मानना है कि जो संघर्ष उनके पिता ने किया है, वो उसके आस-पास भी नहीं है। स्टार कपल भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के पॉडकास्ट में सुनील ने कहा कि मेरे पिता बचपन में ही भागकर मुंबई आ गए। उनके पिता नहीं थे, लेकिन उनकी 3 बहनें थीं। उन्हें 9 साल की उम्र में जीवन में पहली नौकरी एक दक्षिण भारतीय रेस्तरां में मिली थी, जहां उनका काम मेज की साफ-सफाई करना था।

मेज इतनी छोटी थी कि उसे चारों ओर से सफाई करने के लिए उसके 4 चक्कर लगाने पड़ते थे। वो चावल की बोरी पर सोते थे। मेरे पिता के बॉस ने 3 इमारतें खरीदी थीं और पिताजी को उनका प्रबंधन करने के लिए कहा गया। जब उनके बॉस रिटायर हुए तो पिताजी ने वो तीनों इमारतें खरीद लीं। आज भी मेरे पास ये तीनों इमारतें हैं और यहीं से हमारी यात्रा शुरू हुई थी।

मेरे पिता बहुत विनम्र व्यक्ति थे, लेकिन अगर कोई उनके बच्चों या उनके स्टाफ के खिलाफ एक शब्द भी कहता था तो वे शेर बन जाते थे। उनकी एक पंक्ति होती थी, “बेच डालूंगा सब कुछ, गांव चले जाऊंगा, पर नाइंसाफी नहीं झेलूंगा।” बता दें साल 2017 में सुनील के पिता वीरप्पा शेट्टी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।