बॉलीवुड में पुराने गीतों को नए अंदाज़ में पेश करने की परंपरा नई नहीं है। परंतु जब किसी गीत के साथ भावनात्मक इतिहास और सांस्कृतिक विरासत जुड़ी हो, तो उसे छूना एक जोखिम भरा कदम बन जाता है। हाल ही में अजय देवगन की फिल्म ‘दे दे प्यार दे 2’ के लिए जारी हुआ गाना ‘झूम शराबी’ ऐसा ही एक प्रयोग है। यह गाना दरअसल 1974 में आई आई.एस. जौहर की फिल्म ‘5 राइफल्स’ के उस कल्ट क्लासिक गीत का रीमिक्स वर्जन है, जिसे अजीज नजान ने अपनी आवाज़ और अदाओं से अमर बना दिया था।
पुराने ‘झूम बराबर झूम शराबी’ का जादू: अजीज नजान की मस्ती और रफ़्तार का संगम‘5 राइफल्स’ के इस गीत की पहचान थी अजीज नजान की चुलबुली आवाज़, उन्मुक्त ठहाके और शराबी मस्ती से भरा लहजा। उस दौर में गीत के संगीतकार बप्पी लाहिड़ी नहीं, बल्कि पांचाल भाई (कृष्णा पंडित) जैसे संगीतकारों ने इसे शुद्ध देसी बीट्स के साथ सजाया था। गीत में ‘झूम बराबर झूम शराबी’ का रिदमिक पैटर्न उतना ही जीवंत था जितना कि अजीज नजान का गला।
अजीज नजान ने इस गीत को गाते हुए आवाज़ के हर उतार-चढ़ाव में अभिनय भरा, मानो वह गीत नहीं बल्कि मंच पर कोई दृश्य जीवित हो। उनका “झूम बराबर झूम शराबी” कहना मस्ती का नशा भर देता था। उनके पीछे चलते ड्रम्स और ब्रास सेक्शन उस दौर के लाइव म्यूजिक का प्रतीक थे—न कोई ऑटो-ट्यून, न डिजिटल इफेक्ट, बस शुद्ध गायन का आनंद।
नया ‘झूम शराबी’: हनी सिंह का रैप, बीट्स और अजय देवगन का ग्लास मूवसंगीत की दृष्टि से यदि 1974 की फिल्म 5 राइफल्स के मूल गीत “झूम झूम झूम शराबी” (गायक: अज़ीज़ नज़ान) की तुलना 2025 में रिलीज़ हुए इसके रीमिक्स संस्करण (गायक: यो यो हनी सिंह) से की जाए, तो दोनों के बीच संगीत, शैली और प्रस्तुति में गहरा अंतर दिखाई देता है।
अज़ीज़ नज़ान द्वारा गाया गया 1974 का मूल गीत एक क़व्वाली-आधारित सूफियाना अंदाज़ में था, जिसमें तबले, ढोलक, हारमोनियम और मंझिरे जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग हुआ था। गीत में भावनात्मक गहराई और नशे में डूबी हुई रूहानियत झलकती थी। अज़ीज़ नज़ान की आवाज़ में एक तरह की लाइव फील थी — जैसे वे किसी महफ़िल में बैठे हों और सामने श्रोताओं से सीधा संवाद कर रहे हों। यह गीत केवल ‘शराबी’ शब्द का प्रतीकात्मक इस्तेमाल नहीं था, बल्कि उसमें भक्ति और मस्ती का सम्मिश्रण था, जो नशे को आध्यात्मिक उन्माद के रूप में प्रस्तुत करता था।
इसके विपरीत, 2025 का रीमिक्स वर्ज़न पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक पॉप और पार्टी ट्रैक की शैली में ढाला गया है। इसमें पारंपरिक वाद्ययंत्रों की जगह सिंथेसाइज़र, डिजिटल ड्रम्स और बेस साउंड ने ले ली है। हनी सिंह की गायकी में ऊर्जा और आधुनिकता तो है, लेकिन उसमें वह रूहानी गहराई नहीं दिखाई देती जो अज़ीज़ नज़ान के स्वर में थी। आवाज़ को तकनीकी रूप से पॉलिश किया गया है, जिससे गीत का भावनात्मक पक्ष कमज़ोर पड़ जाता है और यह सिर्फ़ डांस फ्लोर का एंथम बनकर रह जाता है।
इस प्रकार, जहां 1974 का “झूम शराबी” दिल और महफ़िल दोनों को छू लेने वाला सूफियाना अनुभव था, वहीं 2025 का संस्करण मनोरंजन और क्लब कल्चर की अभिव्यक्ति है। पुराने गीत की आत्मा में जो कच्चापन और सच्चाई थी, वह नए गीत की हाई-टेक साउंड और पॉलिश्ड प्रोडक्शन में कहीं खो जाती है।
संगीत और भाव: आत्मा से नशे तक की यात्राअजीज नजान के गीत में ‘नशा’ भावनात्मक और कलात्मक दोनों था। उनकी आवाज़ में शराब नहीं, बल्कि जीवन की मुक्त हंसी और दर्द का तालमेल था। जबकि हनी सिंह के वर्जन में नशा केवल बीट्स का है—तेज़, शोर भरा और एक क्षणिक उत्तेजना देने वाला।
पुराने गाने में ‘झूम’ शब्द मस्ती, आनंद और जीवन के उत्सव का प्रतीक था; नए वर्जन में वही ‘झूम’ डांस फ्लोर की झिलमिल रोशनी और गिलासों की झंकार में खो जाता है।
फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि तकनीकी दृष्टि से हनी सिंह का यह ट्रैक बेहद सुसंगठित है—सटीक प्रोडक्शन, डिजिटल पॉलिश और आधुनिक रिदम के साथ यह युवा श्रोताओं के लिए बना है, जो बीट पर सिर हिलाना पसंद करते हैं, बोलों पर नहीं रुकना।
अजय देवगन का नया अवतार: गंभीर अभिनेता से ग्लैमरस डांसर तकअजय देवगन लंबे समय से अपने गंभीर और इंटेंस किरदारों के लिए पहचाने जाते हैं, लेकिन ‘झूम शराबी’ में उनका यह डांसिंग अवतार फैंस के लिए एक सुखद चौंकाने वाला पल है। उनके कंधे पर रखा ग्लास, स्टाइलिश मूव्स और सीमित पर नियंत्रित डांस स्टेप्स उनकी सधी हुई पर्सनैलिटी के अनुरूप हैं। हालांकि, जिस भावनात्मक गहराई के साथ अजीज नजान का चेहरा उस पुराने गीत से जुड़ा था, वैसी आत्मा इस रीमिक्स में नहीं झलकती—यह गाना ‘फील’ से ज़्यादा ‘फ्लैश’ पर चलता है।
आलोचनात्मक निष्कर्ष: पुराने ‘झूम’ का जादू आज भी बेमिसाल
‘दे दे प्यार दे 2’ का ‘झूम शराबी’ निस्संदेह एक पॉप-कल्चर सनसनी है—ट्रेंड में है, नशे में है और देखने में ग्लैमरस है। मगर जब बात आती है गीत की आत्मा और सुर की स्थायी मिठास की, तो आई.एस. जौहर के ‘5 राइफल्स’ वाला क्लासिक ही दिल जीत लेता है।
अजीज नजान का “झूम बराबर झूम शराबी” आज भी सुनने पर मुस्कान दे जाता है, जबकि नया ‘झूम शराबी’ कुछ देर के लिए दिल धड़काता है, फिर बीट्स में खो जाता है।
पुराने गीत की रूह में एक बेखौफ़ सादगी थी—एक आवाज़ जो बिना तकनीक के भी अमर हो गई।
नया गीत उसी रूह की आधुनिक परछाई है—चमकदार, आकर्षक और क्षणभंगुर।
दोनों अपने-अपने दौर के प्रतिनिधि हैं, लेकिन अगर संगीत का इतिहास पूछा जाए कि “झूम शराबी” कौन सा याद रहेगा, तो जवाब वही होगा—अजीज नजान का “झूम बराबर झूम शराबी।”