'कोरोना' का खतरा समझना है तो देखे ये फिल्में, हिल जाएगा दिमाग

कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से 35 देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। दुनिया की लगभग एक अरब से ज्यादा आबादी लॉक डाउन जैसी स्थिति में रहने को मजबूर हो गई है। दुनियाभर में कोरोना के 3,43,000 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं जबकि इस वायरस से मरने वालों की संख्या 15 हजार के करीब पहुंच गई है। भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 428 हो गई है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 8 लोग जान गंवा चुके हैं। अकेले 24 घंटे में 50 से अधिक नए मरीज आए हैं और तीन मौतें हुई हैं। दिल्ली, राजस्थान, बिहार, पंजाब, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में कोरोना वायरस की वजह से 31 मार्च तक लॉकडाउन है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के 16 जिलों को भी 25 मार्च तक लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन के बावजूद कई लोग सड़कों पर निकल रहे हैं और लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। दरअसल, कई लोगों को अब भी इस बीमारी की गंभीरता का पता नहीं है। अगर आप भी इन लोगों में से एक हैं, जो इस खतरों को भांप नहीं पा रहे तो आपको बात दें कि एक नहीं बल्कि कई फिल्‍में ऐसी हैं, जिन्‍हें देखकर आप समझ सकते हैं कि कोरोना जैसे वायरस का खतरा पूरे मानव समुदाय के लिए कितना घातक है। आप भी जानें कौनसी हैं ऐसी फिल्‍में...

कॉन्टेजन (Contagion)

स्‍टीवन सोडरबर्ग का ये मेडिकल थ्रिलर ड्रामा 2011 में रिलीज हुआ था। वर्तमान के कोरोना वायरस के खतरे और इसके भयानक स्‍वरूप को समझने के लिए ये सीरीज इन दिनों सोशल मीडिया चर्चा का विषय बनी हुई और कई प्‍लेटफॉर्म पर जमकर सर्च की जा रही है। लोग इसे स्ट्रीमिंग साइट अमेजन प्राइम पर तो देख ही रहे हैं, पैसे देकर पेड साइटस पर भी देख रहे हैं।

स्टीवेन सोडरबर्ग निर्देशित फिल्म 'कॉन्टेजन' की शुरुआत में हम रूबरू होते हैं मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री ग्वेनिथ पाल्ट्रो से जो इस फिल्म में बेथ एमहॉफ नाम की बिजनेस वुमन का किरदार निभा रही हैं। बेथ हॉन्गकॉन्ग की एक बिजनेस मीटिंग से लौट रही हैं। एयरपोर्ट लॉबी में एक बार टेबल काउंटर पर रखी शराब पीते हुए वह किसी से फोन पर बात कर रही हैं। बात खत्म करने के बाद वह पेमेंट के लिये अपना क्रेडिट कार्ड काउंटर पर खड़ी रिसेप्शनिस्ट को देती है। इस दृश्य को फिल्माते हुए कैमरा कभी टेबल काउंटर, कभी शराब के गिलास तो कभी क्रेडिट कार्ड पर जूम होता है, कुछ पल ठहरता है… बात समझ में आती है कि जिस वायरस की बात फिल्म कर रही है, वह इन चीजों की सतह के संपर्क में आ चुका है। यानी अब जोभी इन्हें छुएगा, उसे संक्रमण होना तय है।

इस ड्रामा में भी एक वायरस के बारे में दिखाया गया है जो पूरी दुनिया में रातों-रात फैलता जा रहा है। इस वायरस का मुकाबला करने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक वैकसीन खोजने में लगे हैं। ये भले ही एक सीरीज है लेकिन कई मायनों में आज की हकीकत सिनेमा पर दिखाने में कामयाब हुई है। ये सीरीज इन दिनों अमेजन प्राइम पर स्‍ट्रीम हो रही है।

आउटब्रेक (Outbreak)

वुल्फगैंग पीटरसन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बंदरों से फैले वायरस की कहानी दिखाई गई थी। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अफ्रीकन रेन फॉरेस्ट से लाए गए बंदरों की वजह से फैले वायरस से बचाव के लिए वैज्ञानिक मेहनत करते हैं। फिल्म में केविन स्पेसी, मॉर्गन फ्रीमैन, डस्टिन हॉफमैन जैसे स्टार्स ने अभिनय किया है। ये सीरीज नेटफ्लिक्‍स पर उपलब्‍ध है।

द क्रेजीज (The Crazies)

जॉर्ज ऐ रोमेरो की ये फिल्‍म लोगों के बीच संक्रमति होती बीमारियों को दिखाने वाली एक और फिल्‍म है। एक मिलट्री का प्‍लेन, जो बिना टेस्‍ट किए हुए बायो-हथियारों को लेकर जा रहा है, अमेरिका के एक शहर के पास दुर्घटनाग्रस्‍त हो जाता है। इससे वहां के इलाके की पानी की सप्‍लाई दूषित हो जाती है और लोग मरने लगते हैं। सरकार इस बीमारी के खतरे से बचने के लिए लोगों को देखते ही गोली मारने का ऑर्डर निकाल देती है।

द हॉट जोन (The Hot Zone)

'द हॉट जोन' नाम की टीवी सीरीज पिछले साल ही रिलीज हुई थी। 6 एपिसोड की ये सीरीज एक केनेडियन मेडिकल ड्रामा है जो एक वैज्ञानिक के ईबोला जैसे वायरस से लड़ने की कहानी है। इस सीरीज में बताया गया है कि कैसे कई एजेंसियां अपने-अपने काम के करने के तरीके के चलते झगड़ती हैं और उनका ये झगड़ा इस बीमारी को फैलाने में और भी कारगर साबित होता है।

फ़्लू (Flu)

यह दक्षिण कोरियाई फिल्म 2013 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में एक ऐसी महामारी के बारे में बताया है जो H5N1 के घातक तनाव के कारण होती है और 36 घंटे के भीतर अपने पीड़ितों को मार देती है।

12 मंकीज (12 Monkeys)

1995 की साइंस फिक्शन फिल्म '12 मंकीज' 1996 में होने वाली एक घातक वायरस की कहानी है जो लगभग पूरी मानवता को मिटा देता है। बारह बंदरों की सेना के रूप में जाना जाने वाला एक समूह वायरस छोड़ता है, तब ब्रैड पिट इन घटनाओं का पता लगाने के लिए जाते हैं।

द थॉ (The Thaw)

2009 में रिलीज ही इस फिल्म में चार इकोलॉजी रिसर्च छात्रों की कहानी दिखाई गई है। इस रिसर्च के दौरान छात्रों को पता लगता है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पिघलती हुई बर्फ में पैरासाइट भी जमा हुआ है, जो दुनिया में महामारी फैला सकता है। फिल्म में वेल किल्मर ने अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई थी।