भव्य सेट के साथ फिल्में बनाने वाले दिग्गज फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ 1 मई को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है। इस सीरीज के साथ भंसाली ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डेब्यू किया। सीरीज में सोनाक्षी सिन्हा, मनीषा कोइराला, ऋचा चड्ढा, अदिति राव हैदरी, भंसाली की भांजी शर्मिन सहगल, संजीदा शेख जैसी एक्ट्रेस के अहम रोल हैं। इस बीच ऋचा ने अपनी को-स्टार शर्मिन को रोस्ट किया।
दरअसल आईएमडीबी के इंटरव्यू के दौरान शर्मिन कहती हैं कि मैं बहुत अच्छी कुक हूं। इस पर ऋचा हंसने लगती हैं। शर्मिन कहती हैं कि मैं जो सुबह सलाद खाती हूं वो खुद बनाती हूं। इस पर ऋचा उनकी टांग खिंचाई करते हुए पूछती हैं कि क्या उन्होंने सब्जियां काटी है कभी? इस पर शर्मिन कहती हैं कि मैं बहुत अच्छा खाना बनाती हूं। मैंने क्रिसमस लंच बनाया था। तब ऋचा कहती हैं कि मुझे लगता है कि आपको और मुझे एक-दूसरे के पास नहीं बैठना चाहिए।
इस दौरान ऋचा ने सीरीज में अपने मुश्किल सीन के बारे में बताते हुए कहा कि मैं एक बड़ा फाइनल डांस करती हूं, लेकिन आपको नहीं पता कि वो शूट 8 दिन तक हुआ और कितना तनावभरा और मुश्किल था। मेरा स्क्रिप्ट पढ़कर कोई बड़ा रिस्पॉन्स नहीं था। इधर शर्मिन ने बताया कि एक सीन था जहां मुझे 4 दिन के लिए रोना था। मैं सुबह से रात तक रोती रही। चौथे दिन मेरी आंखें आलू की तरह हो गई थीं।
फरदीन खान ने बताया, जब भी संजय लीला भंसाली भुनभुनाते या चिड़चिड़ाते...अदिति राव हैदरी ने आईएमडीबी के इसी इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया कि संजय लीला भंसाली का सारा प्यार उनके चौपायों के लिए सुरक्षित रहता है। सीरीज में बागी का किरदार निभा रहे ताहा शाह ने कहा कि भंसाली के सबसे प्यारे कुत्ते का नाम जानू है और वे उस पर जान छिड़कते हैं। अभिनेता फरदीन खान ने बताया कि सीरीज के सेट पर सबने भंसाली को स्वाभाविक स्वरूप में देखा।
जब भी वे भुनभुनाते या किसी बात पर चिड़चिड़ाते, उनके सहायक निर्देशकों को पता होता था कि अब क्या करना है? शूटिंग के दौरान हमेशा 25 पालतू कुत्ते मौजूद रहते थे और भंसाली के गुस्सा होते ही ये सहायक निर्देशक इन कुत्तों को भंसाली की तरफ दौड़ा देते थे। और जैसे ही कुत्ते सेट पर आते भंसाली का व्यवहार अचानक से बदलने लगता और वे शांत हो जाते।
संजीदा शेख ने भी भंसाली को लेकर एक और दिलचस्प बात बताई। संजीदा ने कहा कि भंसाली को शूटिंग के दौरान दिन में 3-4 बार अपना कुर्ता बदलने की आदत है। पहले तो हम लोगों को समझ नहीं आया लेकिन फिर समझ में ये आया कि वे ऐसा अपने विचारों को तरोताजा करने के लिए करते हैं।