बॉलीवुड के इन कलाकारों की अच्छी आदतें अपनाकर बने एक बेहतर इंसान

भारत की जनता के बीच बड़े परदे के सितारों से प्रसिद्द शायद ही कोई होगा। समय-समय पर ये ही बॉलीवुड कलाकार सुर्ख़ियों में बने रहते हैं कभी अच्छी आदतों की वजह से तो कभी बुरी आदतों की वजह से। लेकिन अधिकतर उनकी बुरी आदतें ही ज्यादा दिखाई देती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि उनमें कोई अच्छाई नहीं हैं। हमारे फ़िल्मी सितारों में भी कई अच्छी बातें हैं जो हमें उनसे सीखनी चाहिए। तो आज हम आपको उन्हीं अच्छी बातों को बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं बॉलीवुड के इन कलाकारों से सिखने वाली अच्छी आदतें।

* फरहान अख्तर : एक्टर, सिंगर, गीतकार, निर्माता, निर्देशक के साथ-साथ फरहान वक्त के भी पाबंद हैं। वो मानते हैं कि किसी को भी इंतजार करवाना उसके अपमान के समान है। फरहान कई बार कई जगह दिए गए समय से पहले भी पहुंच जाते हैं। हालांकि फरहान की इस आदत का खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ा है, लेकिन उन्हें इस आदत में कोई खराबी नजर नहीं आती।

* प्रियंका चोपड़ा : कई लोगों का मानना है कि यह पिगी चॉप्स की कोई बीमारी है, लेकिन उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उन्हें हर चीज़ को उसकी जगह पर रखे देखना पसंद है। इससे हर चीज़ व्यवस्थित और आसान लगती है। आर्मी परिवार से नाता रखने वाली प्रियंका को संगठित और सु्व्यवस्थित जिंदगी में विश्वास है, जो उनके जीवन में भी नज़र आता है।

* अमिताभ बच्चन : अनुशासन और समय की पाबंदी क्या होती है ये आप अमिताभ से सीख सकते हैं। इस उम्र में भी अमिताभ का चार्म कम नहीं हुआ है। देश ही नहीं विदेशों में भी बिग बी की फैन फॉलोइंग है। अमिताभ की शानदार पर्सलनैलिटी के आगे आज भी बाकी हीरो कम ही लगते हैं, मगर सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने अनुशासन हमेशा बनाए रखा।

* रणवीर सिंह : हम सब कई चीजों में विश्वास करते हैं। कुछ लोग उसे अंधविश्वास भी कहते हैं। रणवीर के भी कुछ इसी तरह के विश्वास हैं। जैसे कि सेट पर जाने से पहले वो हमेशा प्रार्थना करते हैं। साथ ही वो हर किरदार के अनुसार पर्फ्युम लगाते हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें किरदार में घुसने में मदद मिलती है।

* आमिर खान : मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से मशहूर आमिर खान अपना काम परफेक्शन के साथ तो करते ही हैं, साथ ही वो पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ अपना काम करते हैं। लोगों की अटेशन पानी की बजाय वो चुपचाप अपने काम पर फोकस रखते हैं। फिल्मों में भी व क्वांटिटी की बजाय क्वालिटी पर ध्यान देते हैं, तभी तो साल में वो एक ही फिल्म करते हैं, मगर वो बाकी से अलग होती है।