
बाहरी चमक-धमक और भीतर की जद्दोजहद – यही एक सेलिब्रिटी की जिंदगी का असली चेहरा होता है। दक्षिण भारतीय फिल्मों की जानी-मानी अदाकारा गौतमी तड़ीमल्ला की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन्होंने बहुत कम उम्र में फिल्मी सफर शुरू किया, असाधारण स्टारडम हासिल किया, लेकिन निजी जीवन में उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी, असफल विवाह और टूटे रिश्तों का सामना करना पड़ा। फिर भी हर बार वे मजबूत होकर उभरीं और आज उनके जीवन की कहानी लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
16 साल की उम्र में शुरू हुआ अभिनय सफरगौतमी ने महज 16 साल की उम्र में तमिल फिल्म ‘धायामयादु’ (1987) से अभिनय की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने रजनीकांत के साथ 'गुरु शिष्यन' में काम किया, जिसने उन्हें तामिल फिल्म इंडस्ट्री में एक मुकाम दिलाया। उन्होंने जल्द ही तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी अपनी पहचान बनाई। 1987 से लेकर 1995 तक वे दक्षिण की सबसे व्यस्ततम अभिनेत्रियों में शामिल रहीं और उन्होंने आठ सालों में लगभग 120 फिल्में कीं।
उनकी प्रमुख फिल्मों में 'राजा चिन्ना रोजा', 'थेवर मगन', 'अपूर्वा सहोदरगल', 'धर्मदुरई', 'नीलम्बरी' जैसी ब्लॉकबस्टर शामिल हैं। लेकिन उन्हें असली सम्मान तब मिला जब उन्होंने कमल हासन के साथ 'पापनासम' जैसी गंभीर और भावनात्मक फिल्म में अभिनय किया। इस फिल्म में उनका अभिनय एक साधारण गृहिणी के रूप में बेहद सराहा गया।
हिन्दी फिल्मों में मिथुन चक्रवर्ती के साथ शुरुआतगौतमी ने हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत 1989 में मिथुन चक्रवर्ती के साथ फिल्म 'Suryaa: An Awakening' से की थी, जिसका निर्देशन ए.एस. रवेल ने किया था। यह एक एक्शन-ड्रामा फिल्म थी जिसमें मिथुन एक ईमानदार युवक की भूमिका में थे और गौतमी उनकी प्रेमिका बनी थीं। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर औसत प्रदर्शन किया, लेकिन इससे गौतमी को हिंदी दर्शकों के बीच पहचान मिली।
इसके बाद उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के साथ 'Aansoo Bane Angaarey' (1993) में भी काम किया, जो एक महिला केंद्रित बदले की कहानी पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म का निर्देशन मेहुल कुमार ने किया था और इसमें गौतमी की भूमिका को सराहा गया, हालांकि यह फिल्म भी व्यवसायिक दृष्टि से बड़ी हिट नहीं रही।
1990 में उन्होंने महेश भट्ट की फिल्म 'Afsana Pyar Ka' में आमिर खान के साथ लीड रोल निभाया, जिसने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया। इसके अलावा उन्होंने 'Naam O Nishan', 'Tejaswini' (1994, निर्देशिका: नम्रता सिन्हा) और 'Janta Ki Adalat' जैसी हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया। हालांकि हिंदी फिल्मों में वे ज्यादा समय तक सक्रिय नहीं रहीं, लेकिन उनके काम की गंभीरता और प्रस्तुति की गहराई ने उन्हें एक संजीदा अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।
कैंसर से पहली जंग: जब जीवन थम-सा गयाजब गौतमी महज 35 साल की थीं, तब उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। यह उनके जीवन का सबसे कठिन और निर्णायक दौर था। करियर के ऊंचे मुकाम पर होने के बावजूद उन्होंने तुरंत अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी और इलाज शुरू कराया। उन्होंने इस बीमारी से अकेले लड़ाई लड़ी, कीमोथेरेपी के दर्द सहे, बाल झड़े लेकिन आत्मबल नहीं डगमगाया। इस जंग ने उन्हें मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से पूरी तरह बदल दिया। इस जीत के बाद वे कैंसर अवेयरनेस अभियान से भी जुड़ीं और कई बार सार्वजनिक मंचों से अपने अनुभव साझा किए।
शादी और टूटा रिश्ता: जब भावनाएं बिखर गईंगौतमी ने 1998 में व्यवसायी संदीप भाटिया से शादी की थी। इस रिश्ते से उन्हें एक प्यारी बेटी हुई, लेकिन ये शादी लंबे समय तक टिक नहीं सकी और एक साल में ही दोनों अलग हो गए। इसके बाद 2005 में उनकी जिंदगी में दक्षिण भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता कमल हासन आए। दोनों का रिश्ता करीब 11 वर्षों तक चला। वे बिना विवाह किए एक साथ रहते रहे और साथ में फिल्में भी कीं।
लेकिन 2016 में एक ब्लॉग पोस्ट के जरिए गौतमी ने यह घोषणा की कि उन्होंने कमल हासन से अपने रास्ते अलग कर लिए हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में इस अलगाव का कारण निजी मूल्यों और पारिवारिक जरूरतों से जुड़ा बताया। इस घोषणा ने इंडस्ट्री और उनके चाहने वालों को चौंका दिया।
राजनीति में कदम और सामाजिक कार्यगौतमी सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संवेदनशील इंसान भी रही हैं। उन्होंने कैंसर सर्वाइवर के रूप में काम करते हुए कैंसर जागरूकता अभियानों में भाग लिया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ीं। हालांकि राजनीतिक सफर ज्यादा लंबा नहीं चला, लेकिन वे सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहीं।
संघर्षों से निकली प्रेरणा की रोशनीगौतमी तड़ीमल्ला की जिंदगी सिनेमा की स्क्रीन से बाहर कहीं अधिक प्रेरणादायक है। वह एक अभिनेत्री से ज्यादा एक योद्धा हैं—जिन्होंने बीमारी को हराया, टूटे रिश्तों से खुद को जोड़ा और फिर भी मुस्कराहट के साथ जीवन को अपनाया। उनकी कहानी यह सिखाती है कि चाहे कितनी भी बार जीवन हमें तोड़े, अगर हम हिम्मत रखें तो हर बार खुद को फिर से जोड़ सकते हैं।
गौतमी की यह जीवनगाथा हमें बताती है कि स्टार्स सिर्फ स्क्रीन पर नहीं, जिंदगी की जंग में भी चमकते हैं।