
कल्पना कीजिए कि आप एक विमान में बैठे हैं जो 35,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा है, लेकिन जमीन पर मौसम ऐसा बिगड़ा है कि लैंडिंग असंभव हो चुकी है। फ्यूल खत्म होने को है, सामने घना कोहरा और गरजते बादल हैं, और आपकी जिंदगी अब पायलट के फैसले पर टिकी है। यह कोई स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि 2015 में भारत के आकाश में घटी एक सच्ची घटना है, जिस पर अजय देवगन ने ‘रनवे 34’ जैसी थ्रिलर फिल्म बनाई। फिल्म में रोमांच जितना है, असली कहानी उससे कहीं ज्यादा खतरनाक और चौंकाने वाली है।
रनवे 34 का नाम पहले MAYDAY था, इसे बाद में बदलकर रनवे 34 किया गया। फिल्म से जुड़े लोगों को मानना था कि दर्शकों को MAYDAY का अर्थ समझ में नहीं आएगा जिसके चलते सिनेमा देखने दर्शक सिनेमाघरों में नहीं आएंगे। यह अजय देवगन की बदकिस्मती रही कि फिल्म का नाम MAYDAY से बदलकर रनवे 34 करने पर भी दर्शक सिनेमाघरों में नहीं पहुँचे।
कैसे शुरू हुआ संकट: दुबई से कोच्चि की एक आम उड़ान18 अगस्त 2015 की रात को जेट एयरवेज की फ्लाइट 9W 555 दोहा से कोच्चि के लिए रवाना हुई थी। उड़ान सामान्य थी, लेकिन कोच्चि पहुंचते ही मौसम बिगड़ गया। भारी बारिश और बेहद कम दृश्यता के कारण विमान को लैंड कराना नामुमकिन था। कैप्टन ने विमान को त्रिवेंद्रम डायवर्ट करने का फैसला लिया, लेकिन वहां भी घना कोहरा और खराब मौसम सामने खड़ा था।
'Mayday' कॉल और 150 जिंदगियों की सांसें अटकींकैप्टन ने 'Mayday' का ऐलान कर दिया — यह एविएशन का वो कोड है जो बताता है कि विमान संकट में है। अब फ्यूल खत्म हो रहा था, और विकल्प न के बराबर थे। पायलट ने छह बार विमान को रनवे के ऊपर घुमाया, लेकिन हर बार लैंडिंग की असफल कोशिश। सातवें प्रयास में बिना किसी विजुअल गाइडेंस के प्लेन को “ब्लाइंड लैंडिंग” कर सुरक्षित उतार दिया गया। विमान में सवार सभी 150 से ज्यादा यात्रियों की जान बच गई, लेकिन यह भारतीय एविएशन इतिहास की एक भयावह रात बन गई।
‘रनवे 34’: जब रील ने रियलिटी को पर्दे पर जिंदा कर दियाइस सच्ची घटना पर आधारित ‘रनवे 34’ को अजय देवगन ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया, और खुद कैप्टन विक्रांत खन्ना की भूमिका निभाई। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आत्मविश्वास और अनुभव के बीच संतुलन कभी-कभी संकट का कारण भी बन सकता है। रकुल प्रीत सिंह ने सह-पायलट तान्या का किरदार निभाया, जो कैप्टन के हर फैसले की गवाह भी है और उसकी जिम्मेदारी भी उठाती है।
जब कोर्टरूम बना रणभूमि और सवाल उठा 'फैसलों' परफिल्म का दूसरा हिस्सा कोर्टरूम ड्रामा में तब्दील हो जाता है, जहां सीनियर जांच अधिकारी नारायण वेदांत (अमिताभ बच्चन) सवाल उठाते हैं कि क्या यह साहस था या अहंकार? क्या जान बचाना ही काफी है, या जिम्मेदारी तय होना भी जरूरी है? फिल्म का क्लाइमेक्स इस विचार से टकराता है कि गलती से कोई बुरा नहीं होता, लेकिन गलती मानने से ही असली इंसान बनता है।
क्यों देखें ये फिल्म?‘रनवे 34’ एक थ्रिलर फिल्म होने के साथ-साथ एक तकनीकी और भावनात्मक अध्ययन भी है। यह उन पायलटों की दुनिया में ले जाती है जहां हर सेकंड एक फैसला होता है और हर फैसला सैकड़ों जिंदगियों पर असर डालता है। फिल्म न सिर्फ एक रोमांचक अनुभव देती है, बल्कि उन अनदेखे हीरोज़ को भी सलाम करती है जो हवा में बैठी जिंदगियों के रक्षक होते हैं।
फिल्म कहां देखें?‘रनवे 34’ वर्तमान में अमेजन प्राइम वीडियो और MX Player पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है। इसे देखना केवल एक मनोरंजन नहीं, बल्कि एक असली हादसे को समझने और महसूस करने जैसा है।