फिल्म समीक्षा: अमिताभ के चलते लम्बे समय तक दर्शकों के जहन में रहेगी Kalki 2898 AD, मिसफिट हैं प्रभास

बहुप्रचारित और बहुप्रतीक्षित कल्कि 2898 एडी आज सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई। फिल्म को लेकर जो जिज्ञासा दर्शकों में नजर आई उसी के परिणामस्वरूप यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन 100 करोड़ी क्लब में शामिल होने में सफल हो गई। हिन्दी भाषी क्षेत्र से ज्यादा कल्कि को तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में सफलता मिली है। इन क्षेत्रों से ही अकेले दम पर इसने 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया है, वहीं कहा जा रहा है कि पहले दिन हिन्दी भाषा से इसे 20 करोड़ के लगभग कारोबार मिलेगा।

जो दर्शक सिनेमाघरों से फिल्म देखकर बाहर आए हैं उनका कहना था कि फिल्म में वीएफएक्स और अमिताभ बच्चन को छोड़कर कुछ खास नजर नहीं आया। फिल्म का पहला हॉफ जहाँ बोरियत पैदा करता है, वहीं दूसरा हॉफ दर्शकों को सीट से बांधकर रखने में सफल होता है। इस भाग में भी एकमात्र सितारे अमिताभ बच्चन ही ऐसे रहे हैं, जिन्होंने दर्शकों को अपने साथ रहने पर मजबूर किया है।

81 की उम्र में अमिताभ बच्चन ने साउथ के सुपरस्टार्स की फौज के बीच वो कर दिखाया है जो अब से पहले नहीं हुआ था। अमिताभ ने असंभव को संभव कर दिखाया है। प्रभास तेलुगू सिनेमा के सुपरस्टार हैं, कल्कि 2898 एडी उन्हीं के लिए बनी है। निर्माताओं ने उनके नाम पर 600 करोड़ रुपये दांव पर भी लगाए गए हैं। लेकिन फिल्म देखने के बाद मन में यह विचार आता है कि निर्देशक की ऐसा क्या मजबूरी रही होगी कि उसने प्रभास को पूरी तरह से साइड एक्टर बना कर ही पेश कर दिया। क्या यह अमिताभ बच्चन के अभिनय का जादू था या वो किरदार जिसे वे निभा रहे थे। वजह चाहे जो भी हो लेकिन जब फिल्म परदे पर आ चुकी है तो यह स्पष्ट हो चुका है कि 81 साल का अभिनेता 44 साल के सुपरस्टार भारी पड़ा है।

फिल्म देखते हैं तो बात समझ आ जाती है कि निर्देशक का कल्कि 2898 एडी में पूरा फोकस अमिताभ बच्चन पर रहा है। उन्हें अश्वत्थामा का किरदार मिला है और पूरी फिल्म में उन्हीं पर फोकस रहता है जबकि प्रभास आते-जाते रहते हैं और इंतजार रहता है तो सिर्फ अमिताभ बच्चन के आने का।

निर्देशक ने पूरी कोशिश की है दर्शकों को ऐसी दुनिया दिखा सकें जो भारतीय सिनेमा में कम ही देखने को मिली है। लेकिन यहीं पेंच फंस जाता है। ये दुनिया हॉलीवुड और बॉलीवुड की कई फिल्मों से प्रेरित लगती है। यह दुनिया उधार की नजर आती है और यह उधार लिया गया है, पद्मावत से, मैड मैक्स से, ट्रांसफॉर्मर्स से, अवेंजर्स से, अवतार से और ऐसी ही कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों से। फिल्म का सेकंड हाफ ही दमदार है जिसमें कुछ देखने को मिलता है, वर्ना निर्देशक पूरी तरह से कल्कि 2 के लिए माहौल बनाते नजर आते हैं। फिल्म खत्म होने पर दिमाग में यही बात आती है कि ये तो अमिताभ बच्चन की फिल्म है।

कल्कि 2898 एडी में अभिनय की बात करें तो सितारों के पास ज्यादा स्कोप नहीं है क्योंकि यह हीरो और इमोशंस सिर्फ टेक्नोलॉजी है। इस फिल्म को देखकर कहीं से नहीं लगता कि यह फिल्म प्रभास की है। पूरी तरह से हर एंगल से अमिताभ बच्चन को समर्पित नजर आती है और उन्होंने जो किया है, वह उनके बेहतरीन किरदारों में से एक है। प्रभास एक्शन स्टार हैं, लेकिन उनसे निर्देशक कॉमेडी करवाता है। जब पूरा माहौल गंभीर है तो ना जाने प्रभास को किस दुनिया में दिखाता है। दीपिका पादुकोण का जो रोल है, उसे कोई भी अदाकारा बिल्कुल ऐसे ही निभाती। कमल हासन को फुल फॉर्म में देखने के लिए कल्कि 2 का इंतजार करना पड़ेगा।

कल्कि 2898 एडी के वर्डिक्ट की बात करें तो इसमें एक्शन है, जोरदार वीएफएक्स हैं, पौराणिक पात्र हैं, पौराणिक घटनाएं हैं, साथ ही है एक कमजोर कहानी। प्रभास इस किरदार के लिए पूरी तरह से मिसफिट हैं। कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों का कॉकटेल है। जो प्रभास के हार्ड कोर प्रशंसक हैं उन्हें उनकी आलोचना बुरी लग सकती है, अगर अमिताभ बच्चन के प्रशंसक हैं तो जमकर तालियां बजाएंगे। कुल मिलाकर जिन्हें एक्शन, टेक्नोलॉजी और बड़े स्टार्स को देखना पसंद है वह इस फिल्म को एक बार जरूर देख सकते हैं।