जानिए छावा देख खड़े होकर क्यों जोर-जोर से चिल्लाने लगे लोग?, समझिए बात की गहराई को

विक्की कौशल की फिल्म ‘छावा’ को पूरे देश से जबरदस्त प्यार मिल रहा है, लेकिन खासतौर पर महाराष्ट्र में इसका क्रेज़ सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। थिएटर्स में दर्शकों का जुनून सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो में नजर आ रहा है। कुछ वीडियो में लोग घोड़े पर बैठकर थिएटर पहुंचते दिख रहे हैं, तो कुछ छत्रपति शिवाजी महाराज की वेशभूषा में फिल्म देखने आए हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उन वीडियो की हो रही है, जिनमें दर्शक फिल्म खत्म होते ही खड़े होकर जोर-जोर से कुछ बोल रहे हैं, जिससे पूरा थिएटर गूंज उठता है। हाल ही में विक्की कौशल ने भी एक छोटे बच्चे का ऐसा ही वीडियो शेयर किया था।

ये जोश भरने वाले शब्द मराठी में ‘गारद’ के रूप में जाने जाते हैं, और इसे बोलने वाले को ‘गारदी’ कहा जाता है। संस्कृत में इसे ‘बिरुद’ या ‘बिरुदावली’, और उर्दू में ‘अलक़ाब’ कहा जाता है। आसान शब्दों में, यह ‘शिव गर्जना’ है—छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान में बोली जाने वाली जयघोष। यही ‘गारद’ हमें ‘छावा’ के अंत में गूंजते हुए सुनाई दे रही है, जब पूरा थिएटर शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि देने के लिए एक स्वर में ऊंचे स्वर में जयकारा लगाता है।

‘गारद’ के शक्तिशाली जयघोष के बोल

आस्ते कदम, आस्ते कदम, आस्ते कदम ,महाराsssssज,
गडपती, गजअश्वपती, भूपती, प्रजापती, सुवर्णरत्नश्रीपती,
अष्टवधानजागृत, अष्टप्रधानवेष्टित, न्यायालंकारमंडित,
शस्त्रास्त्रशास्त्रपारंगत, राजनितिधुरंधर, प्रौढप्रतापपुरंदर,
क्षत्रियकुलावतंस, सिंहासनाधिश्वर, श्रीमंत श्री श्री श्री छत्रपती शिवाजी महाराज की जय!

शिवाजी महाराज की स्तुति में बोले जाने वाले इस जयघोष का मतलब है,

गजअश्वपती – जिनके अपने हाथी और घुड़सवार हैं, ऐसे महाराज (उस जमाने में हाथी होना संपन्नता का प्रतिक माना जाता था.)

भूपति प्रजापति- इस भूमि और प्रजा का पालनकर्ता. बतौर शासक जिनका पहला कर्तव्य अपनी भूमि और प्रजा की रक्षा करना है, वो महाराज.

सुवर्णरत्नश्रीपती- जिनके पास सोने के साथ साथ हीरे-जवाहरात, माणिक, मोती सब कुछ है, वो महाराज

अष्टावधानजागृत- जो राज्य की आठों दिशाओं की तरफ हमेशा देखते रहते हैं, जो हमेशा चौकन्ना रहते हैं ऐसे महाराज

अष्टप्रधानवेष्टीत- जिनके पास हर विज्ञान में माहिर ऐसे 8 प्रधान हैं और इन प्रधानों की मदद से जो शासन चलाते हैं, वो महाराज

न्यायालंकारमंडीत- सख्त और निष्पक्ष रहकर हमेशा सत्य और सही के पक्ष में फैसला सुनाने वाले महाराज

शस्त्रास्त्रशास्त्रपारंगत- जो हर शस्त्र विद्या जानते हैं, जिन्हें हर शास्त्र की जानकारी हो, जो अपनी प्रजा की हर तरह की सुरक्षा करने में माहिर हो, वो महाराज

राजनितीधुरंधर- हर आदर्श शासकों की तरह, राजनीति में भी जिन्हें अपनी प्रतिभा दिखाना आता हो, वो महाराज

प्रौढप्रतापपुरंदर- जिनके बहादुरी के किस्से पूरी दुनिया सुनती हो और जिनकी वीरता की कोई सीमा नहीं है, वो महाराज

क्षत्रियकुलावतंस- क्षत्रिय कुल में जन्म लेकर अपने शौर्य से अपनी महानता साबित करने वाले महाराज

सिंहासनाधिश्वर- सिहांसन के अधिश्वर यानी सिहांसन के भगवान, हमारे महाराज

महाराजाधिराज- सभी महाराजाओं के राजा, हमारे महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज की जय

‘छावा’ को देखकर ‘शेर’ को याद कर रही है ऑडियंस

मराठी भाषा में शेर के बच्चे को ‘छावा’ कहा जाता है। इसलिए जब भी छत्रपति संभाजी महाराज का नाम लिया जाता है, तो उनके पिता छत्रपति शिवाजी महाराज को भी सम्मानपूर्वक याद किया जाता है।

फिल्म ‘छावा’ के अंत में स्क्रीन पर यह पंक्तियाँ उभरती हैं:

👉 देश धरम पर मिटने वाला, शेर शिवा का छावा था।।
महापराक्रमी परम प्रतापी, एक ही शंभू राजा था।।

यह संभाजी महाराज को समर्पित एक भावनात्मक ट्रिब्यूट है, जिसे देखकर थिएटर में मौजूद दर्शकों की आंखें गर्व और सम्मान से भर जाती हैं। इस ट्रिब्यूट के बाद, ऑडियंस में से कई लोग छत्रपति शिवाजी महाराज की जय-जयकार करने लगते हैं और भावनाओं से ओत-प्रोत होकर ‘गारद’ के गगनभेदी जयघोष से थिएटर गूंज उठता है। 🚩🔥