प्रदर्शन से एक दिन पहले अक्षय कुमार ने किया दर्शकों का मजा किरकिरा, फिल्म को लेकर कही ये बात...

अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की ‘केसरी (Kesari)’ होली के पावन पर्व पर 21 मार्च को प्रदर्शित होने जा रही है। इस फिल्म को इस वर्ष की 5वीं 100 करोड़ी फिल्म माना जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि यह अक्षय कुमार (Akshay Kumar) के करिअर की पहली 200 करोड़ी फिल्म होने वाली है। इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। वैसे इसका अक्षय कुमार को भी इंतजार था तभी तो उन्होंने इसके प्रदर्शन के दो दिन पहले ही दर्शकों के सामने इसका क्लाइमैक्स खोलकर रख दिया, जिसके चलते दर्शकों में इस फिल्म को लेकर जिज्ञासा अचानक से कम हो गई है।

अनुराग सिंह निर्देशक ‘केसरी’ एक पीरियड ड्रामा फिल्म है। 12 सितंबर 1897 को हुए सारागढ़ी के युद्ध को लेकर इस फिल्म को बनाया गया है। सारागढ़ी का युद्ध विश्व के 5 सर्वाधिक चर्चित युद्धों में दूसरे स्थान पर आता है। अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने फिल्म की रिलीज से पहले ही एक शो में इसके क्लाइमैक्स (Kesari Climax)का खुलासा कर दिया। लेकिन सालों पहले हुए इस युद्ध की गाथा क्यों खास है इस बारे में खुद अक्षय कुमार ने कपिल शर्मा शो पर बताया। अक्षय की बातचीत में फिल्म की पूरी कहानी का खुलासा भी हो गया।

अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने कहा, मुझे जब यह स्क्रिप्ट सुनाई गई तो सबसे ज्यादा हैरान इस बात पर था कि आज तक किसी ने इस विषय पर फिल्म बनाने की सोची क्यों नहीं। सारागढ़ी का युद्ध 21 सिख जवानों के बहादुरी की अमरगाथा है। यह 1897 को हुई लड़ाई थी, जहां 21 सिख सारागढ़ी फोर्ट के अंदर थे। वहीं 10 हजार अफगान सैनिक आए थे। उन्हें लगा था कि इन 21 को हम महज आधे घंटे में खत्म कर देंगे और फोर्ट में कब्जा कर लेंगे। उनकी योजना थी कि सारागढ़ी फोर्ट पर कब्जा करने के बाद दो और फोर्ट पर कब्जा करना। अगर तीनों फोर्ट पर 10 हजार अफगान सैनिक कब्जा कर लेते तो वे भारत के अंदर आ सकते थे। ये लड़ाई सुबह 9 बजे शुरू हुई और शाम 6 बजे तक लड़ते-लड़ते 21 सिख लड़ाके शहीद हो गए थे। तब तक काफी देर हो गई थी। सिख रेजीमेंट के दूसरे लोग आ गए थे। आखरिकार अफगान लड़ाकों को भागना पड़ा था। अक्षय (Akshay Kumar) ने बताया, सिख जवानों के पास भागने का पूरा मौका था। उन्हें यह अच्छी तरह मालूम था कि वो ये जंग जीत नहीं पाएंगे फिर भी उन्होंने लडऩे का विकल्प चुना। उन्होंने सुबह 9 से शाम 6 बजे तक जो युद्ध लड़ा उसकी वजह से ही सिख रेजीमेंट के दूसरे सैनिकों को आने का मौका मिल सका। अगर आप गूगल करेंगे और दुनिया की सबसे कमाल की लड़ाइयां को सर्च करेंगे तो सारागढ़ी की लड़ाई दूसरे नंबर पर आती है।

गौरतलब है कि सारागढ़ी की लड़ाई में शहीद हुए 21 सिख लड़ाकों को अंग्रेज सरकार ने सबसे बड़े युद्ध पदक से नवाजा था। कुछ समय बाद अमृतसर में सारागढ़ी स्कूल भी बनाया गया। आज भी देश में सिख रेजीमेंट इसे रेजीमेंटल बैटल आनर्स डे के रूप में मनाती है।