पद्मावती : इतिहास के साथ इंसाफ कर पाएंगे ‘भंसाली’ !

आगामी 1 दिसम्बर को ख्यात निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ का प्रदर्शन होने जा रहा है। इस फिल्मकार की पिछली दो फिल्मों ‘गोलियों की रासलीला-रामलीला’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ ने दर्शकों को खासा प्रभावित किया था। हाल ही में जारी हुए ‘पद्मावती’ के ट्रेलर ने दर्शकों को प्रभावित किया है।

ट्रेलर देखने के बाद वे फिल्म को देखने के लिए लालायित हैं। दर्शक यह देखना चाहता है कि संजय लीला भंसाली ने राव रावल रत्नसिंह और अलाउद्दीन के मध्य वर्षों चले युद्ध को किस भव्य पैमाने पर सैल्यूलाइड के पर्दे पर उतारा है। वह इस फिल्म के युद्ध दृश्यों की तुलना कालजयी निर्देशक के.आसिफ की ‘मुगल-ए-आजम’ से कर रहा है, जिसके युद्ध दृश्य आज भी उसके जेहन में ताजा हैं। भंसाली की पिछली फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के युद्ध दृश्य अच्छे थे लेकिन ‘पद्मावती’ का इतिहास जिस तरह के युद्ध का वर्णन करता है, उसे सिनेमाई परदे पर उतारना बड़ा मुश्किल है। भंसाली अपनी कथा के अनुसार दृश्यों की रचना करते हैं और इसमें कोई शक नहीं उन्होंने निश्चित तौर पर बेहतरीन दृश्यों की कल्पना की होगी।

सवाल यह उठता है कि क्या वे उन 1200 पालकियों को एक साथ परदे पर दिखा पाएंगे जिन्हें लेकर ‘पद्मावती’ ने अपने पति रत्नसिंह को अलाउद्दीन की कैद से छुड़ाने के लिए दिल्ली कूच किया था। हालांकि आम दर्शकों को इस बात की जानकारी भी नहीं होगी कि आखिर क्योंकर अलाउद्दीन और रत्नसिंह के मध्य युद्ध हुआ था? इतिहासकारों का कहना है कि ‘पद्मिनी’ की रूप सुन्दरता को देखकर अलाउद्दीन दीवाना हो गया था और उसकी एक झलक पाने के लिए उसने कई वर्षों तक राव राजा रतनसिंह के साथ युद्ध किया था।