भंसाली की 'पद्मावत' देख नाराज हुईं स्वरा भास्कर, खत लिखकर जताई नाराजगी

बॉलिवुड ऐक्ट्रेस स्वरा भास्कर अपनी ऐक्टिंग के अलावा अपने बयानों को लेकर भी काफी चर्चा में रहती हैं। एक बार फिर वह अपने ऐसे ही एक बयान के कारण सुर्खियों में आ गई हैं। इस बार उनके निशाने पर फिल्म 'पद्मावत' के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली हैं। बता दे, काफी विरोध के संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' 25 जनवरी को रिलीज हुई और फिल्म को क्रिटिक्स के साथ-साथ दर्शकों द्वारा भी पसंद किया गया। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई कर रही है। पहले दिन 5 करोड, दूसरे दिन 19 करोड़ और तीसरे दिन 32 करोड़ का कारोबार करने वाली यह फिल्म शनिवार को चौथे लगभग 45 करोड़ के कारोबार के साथ 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है। यह वर्ष 2018 की पहली 100 करोडी फिल्म बन चुकी है। हालांकि अभी तक तीसरे दिन के आँकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं यह दूसरे दिन आए उछाल को देखने के बाद अनुमानित बताए जा रहे हैं। लोगों के साथ साथ बॉलीवुड सेलिब्रिटीज ने भी इस फिल्म को देखा और अपनी अपनी राय थी। बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी फिल्म देखी और फिल्म देखने के बाद उन्होंने संजय लीला भंसाली को एक खुला खत लिखा।

लेटर की शुरुआत में स्वरा ने भंसाली की काफी प्रशंसा की है। उन्होंने एक विडियो भी पोस्ट किया है जिसमें वह फिल्म के खिलाफ हो रहे विरोध को लेकर भंसाली का समर्थन करती दिखती हैं। स्वरा की भंसाली से नाराजगी इस बात को लेकर है जो उन्होंने फिल्म में महिलाओं को 'वजाइना' के तौर पर सीमित कर दिया है। दरअसल, फिल्म के आखिर में रानी पद्मावती खुद को इज्जत की रक्षा के लिए जौहर कर लेती हैं। इस पर स्वरा ने कुछ पॉइंट्स उठाए हैं। उन्होंने लिखा-

1. सर, महिलाओं को रेप का शिकार होने के अलावा जिंदा रहने का भी हक है।

2. आप पुरुष का मतलब जो भी समझते हों- पति, रक्षक, मालिक, महिलाओं की सेक्शुअलिटी तय करने वाले...उनकी मौत के बावजूद महिलाओं को जीवित रहने का हक है।'

3. महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं हैं।

4. हां, महिलाओं के पास यह अंग होता है लेकिन उनके पास और भी बहुत कुछ है। इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी वजाइना पर केंद्रित, इस पर नियंत्रण करते हुए, इसकी हिफाजत करते हुए, इसकी पवित्रता बरकरार रखते हुए नहीं बीतनी चाहिए।'

5. वजाइना के बाहर भी एक जिंदगी है। बलात्कार के बाद भी एक जिंदगी है।

6. फिल्म में जौहर और सती प्रथा को बढ़ावा दिया गया है।

7. फिल्म की शुरुआत में सिर्फ सती और जौहर प्रथा के खिलाफ डिस्क्लेमर दिखाकर निंदा कर देने से कुछ नहीं होता। इसके आगे तो तीन घंटे तक राजपूती आन, बान और शान का महिमामंडन चलता है।