‘जीरो’ Movie Review: आनन्द का सराहनीय प्रयास, शाहरुख का शानदार अभिनय, दूसरा हॉफ कमजोर

पिछले दो माह से लगातार चर्चाओं में रही शाहरुख अभिनीत और आनन्द एल राय निर्देशित ‘जीरो (ZERO Movie Review)’ आज सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई। इस फिल्म को लेकर दर्शकों में बेसब्री थी यह देखने की कि शाहरुख खान बौने के किरदार में क्या करते हैं। तकनीक से बौने बनाए गए शाहरुख खान ने अपने अभिनय से दर्शकों को मोहित किया है। इस मामले में तारीफ करेंगे आनन्द की जिन्होंने अरसे बाद शाहरुख खान से इस तरह का अभिनय करवाया है। यह हिन्दी सिनेमा में पहला मौका है जब पूरी फिल्म का नायक एक बौना है और उसके लिए बॉडी मॉर्फिंग का इस्तेमाल ना करके विशेष तकनीक से उसे बौना बनाया है।

हिन्दी सिनेमा में बेहतरीन फिल्में—तनु वेड्स मनु (दो भागों में), रांझणा और भाग मिल्खा भाग—देने वाले आनन्द एल राय ने साहसिक विषय पर फिल्म बनाई है। इस कथानक को परदे पर उतारना कोई आसान काम नहीं था लेकिन आनन्द इसमें काफी हद तक सफल रहे हैं। उनके द्वारा रचा गया बउआ का किरदार दर्शकों की नजरों में बदतमीज नजर आता है क्योंकि उसके हिस्से में आए संवाद ऐसे हैं। उसकी बदतमीजी के पीछे उसकी स्वयं की कद को लेकर हीन भावना है। इसके बावजूद वे दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हैं। इसमें उनका साथ दिया है अनुष्का शर्मा और कैटरीना कैफ ने, जिन्होंने अपने अभिनय और अंदाज से दर्शकों पर अपनी एक अलग छाप छोडी है। निर्देशक के तौर पर आनन्द एल राय ने फिल्म के पहले भाग को जबरदस्त बनाया है लेकिन दूसरे भाग में वे कमजोर पड गए हैं। इस भाग में पटकथा कमजोर नजर आती है, जो फिल्म के मध्यान्तर के भाग को सुस्त बनाती है और मध्यान्तर पूर्व दर्शकों के बने इमोशनल जुडाव को भी कमजोर देती है। फिल्म के गीत अच्छे हैं। गीतों को बोल और संगीत के साथ उनका फिल्मांकन दिलकश है। छायाकार मनु आनन्द ने अपने कैमरे का बेहतरीन उपयोग किया है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बउवा के रूप में शाहरुख खान ने अपने डगमगाते करियर को संवारने का शानदार काम किया है। बउवा सिंह एक ऐसा किरदार है, जिसे आप नफरत के साथ प्यार भी करेंगे। भले ही दर्शकों को बउवा की बातें या हरकतें पसन्द न आए लेकिन उसके किरदार को दर्शक जरूर चाहेंगे ऐसी उम्मीद है। इस फिल्म को बिना किसी झिझक के पूरे परिवार के साथ आनन्द के साथ देखा जा सकता है।