बॉलिवुड ऐक्ट्रेस स्वरा भास्कर अपनी ऐक्टिंग के अलावा अपने बयानों को लेकर भी काफी चर्चा में रहती हैं। एक बार फिर वह अपने ऐसे ही एक बयान के कारण सुर्खियों में आ गई हैं। इस बार उनके निशाने पर फिल्म 'पद्मावत' के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी फिल्म देखी और फिल्म देखने के बाद उन्होंने संजय लीला भंसाली को एक खुला खत लिखा। इस खत में स्वरा ने फिल्म से जुड़ी अपने दिल की हर बात खोलकर रख दी थी। इस लेटर को लिखने के बाद स्वरा भास्कर चारों तरफ चर्चा में आ गई हैं। जैसे ही स्वरा भास्कर ने ये लेटर लिखा कई ट्विटर यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। हालांकि कई लोग स्वरा के समर्थन में भी दिखे।
वहीं जानी मानी अभिनेत्री एक्ट्रेस सुचित्रा कृष्णमूर्ति ने स्वरा को उनके इस लेटर का जवाब दिया। सुचित्रा ने ट्वीट कर लिखा, ‘फनी..जो एक्ट्रेस डांसर...वैश्या का किरदार निभा चुकी हो वह ये फिल्म देखने के बाद खुद को वजाइना मात्र महसूस कर रही हैं। क्या स्टैंडर्ड है ये…।' सुचित्रा के इस ट्वीट का जवाब देते हुए स्वरा ने लिखा, 'फनी! लोग इस चीज को भुला नहीं पा रहे कि एक औरत ने योनि शब्द का इस्तेमाल कर लिया। यह हास्यास्पद है कि 2440 शब्दों के आर्टिकल में इन्हें मात्र योनि शब्द ही दिखा और याद रहा।'
स्वरा ने लेटर में लिखा था, वह अपने पूरे परिवार के साथ 'पद्मावत' देखने पहुंची थीं। फिल्म में मौजूद सभी किरदारों ने उनका दिल जीत लिया लेकिन पूरी फिल्म में उन्हें बस एक बात से बहुत तकलीफ हुई और वह है 'जौहर'। स्वरा की भंसाली से नाराजगी इस बात को लेकर है जो उन्होंने फिल्म में महिलाओं को 'वजाइना' के तौर पर सीमित कर दिया है। दरअसल, फिल्म के आखिर में रानी पद्मावती खुद को इज्जत की रक्षा के लिए जौहर कर लेती हैं। इस पर स्वरा ने कुछ पॉइंट्स उठाए हैं। उन्होंने लिखा-
1. सर, महिलाओं को रेप का शिकार होने के अलावा जिंदा रहने का भी हक है।
2. आप पुरुष का मतलब जो भी समझते हों- पति, रक्षक, मालिक, महिलाओं की सेक्शुअलिटी तय करने वाले...उनकी मौत के बावजूद महिलाओं को जीवित रहने का हक है।'
3. महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं हैं।
4. हां, महिलाओं के पास यह अंग होता है लेकिन उनके पास और भी बहुत कुछ है। इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी वजाइना पर केंद्रित, इस पर नियंत्रण करते हुए, इसकी हिफाजत करते हुए, इसकी पवित्रता बरकरार रखते हुए नहीं बीतनी चाहिए।'
5. वजाइना के बाहर भी एक जिंदगी है। बलात्कार के बाद भी एक जिंदगी है।
6. फिल्म में जौहर और सती प्रथा को बढ़ावा दिया गया है।
7. फिल्म की शुरुआत में सिर्फ सती और जौहर प्रथा के खिलाफ डिस्क्लेमर दिखाकर निंदा कर देने से कुछ नहीं होता। इसके आगे तो तीन घंटे तक राजपूती आन, बान और शान का महिमामंडन चलता है।