बॉलीवुड में 7 साल पुरे कर चुकें राजकुमार राव ने अपने फिल्मी सफर को लेकर किए कई खुलासें...

नोएडा में आयोजित 'सिग्नेचर स्टार्टअप मास्टर क्लास' के दूसरे संस्करण का हिस्सा बने अभिनेता राजकुमार राव से जब पूछा गया कि किस चीज ने उन्हें अभिनय में आने के लिए प्रेरित किया तो उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि किस चीज ने मुझे प्रेरित किया, लेकिन मुझे याद आता है कि बचपन में मैं अपने परिवार के साथ काफी फिल्में देखा करता था और जब स्कूल में था तो थिएटर से मैंने अभिनय की शुरुआत की, फिर मुझे इससे लगाव हो गया। मुझे कुछ अलग बनना, अलग किरदार निभाना भाने लगा। यह सोचने लगा कि यह एक खूबसूरत दुनिया है। मैं कई कलाकारों और लोगों की नकल किया करता था। अभिनय करने का मैंने वास्तव में लुत्फ उठाया है।"

यह पूछे जाने पर कि 'न्यूटन' जैसी फिल्म के बाद दर्शकों की उनसे अपेक्षा बढ़ गई है, तो क्या बढ़िया पटकथा चुनने को लेकर वह किसी तरह का दबाव महसूस करते हैं, उन्होंने कहा, "मैं हर बार अच्छी पटकथा से जुड़ने की कोशिश करता हूं। मैं करियर की शुरुआत से ही ऐसा करने की कोशिश करता रहा हूं। अगर आप मेरी फिल्मों को देखें तो मैंने हमेशा बेहतरीन कहानी वाली फिल्में चुनने की कोशिश की है। चाहे वह 'ट्रैप्ड' हो या 'शाहिद', 'न्यूटन' या 'बरेली की बर्फी' हो, यह सिलसिला जारी रहेगा और मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं अपने चाहने वालों को कुछ और नया पेश करूं और बतौर अभिनेता खुद को चुनौती दूं।"

बॉलीवुड में अपने अब तक फिल्मी सफर को लेकर राजकुमार राव ने कहा, "मुझे लगता है कि यह बढ़िया रहा है। सात साल हो चुके हैं। मुझे लगता है कि मेरी शुरुआत अच्छी रही है, ऐसा महसूस होता है कि मैंने बस अभी शुरुआत की है और मुझे लगता है कि मुझे अभी भी लंबा सफर तय करना है, लेकिन मैंने जो भी काम अब तक किया है, उसे लेकर गर्व महसूस करता हूं। मैं हर शख्स का आभारी हूं, जिन्होंने सोचा कि मैं ये बेहतरीन किरदार निभा सकता हूं और मैं सोचता हूं कि यह जारी रहेगा। मैं बेहतरीन अभिनय करने के लिए लालायित रहता हूं और लालायित ही रहना चाहता हूं और बस काम करते रहना चाहता हूं।"

उन्होंने कहा, "फिल्म ऑस्कर से भले ही बाहर हो गई, लेकिन जिस तरह से इसे सराहा गया, उस पर गर्व महसूस होता है। फिल्म को जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां मिलीं, वह अभिभूत कर देने वाला है। चाहे वह बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव हो या हांगकांग फिल्म फेस्टिवल या ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल, इसकी उपलब्धियां बड़ी हैं, बड़े पैमाने पर इसे सराहा गया और मुझे 'न्यूटन' पर बहुत ज्यादा गर्व है।"

'सिग्नेचर स्टार्टअप मास्टर क्लास' का हिस्सा बनने के बारे में उन्होंने कहा, "यह एक बेहतरीन मंच है। मुझे लगता है कि यह एक शानदार पहल है। मैंने सिग्नेचर मास्टर क्लास को फॉलो करता रहा हूं। मैंने इसका पहला सीजन देखा है, मुझे लगता है कि यह सच में बेहद प्रेरणास्पद है। मैंने कई हस्तियों के साक्षात्कार देखे हैं और बहुत कुछ सीखा है तो मुझे लगता है कि लोगों के सीखने के लिए यह एक बढ़िया पहल है और अगर आप किसी को प्रेरित करते हैं, अगर मेरी कहानी किसी को प्रेरित करती है, तो मेरे लिए इससे जुड़ना अच्छी बात है।"

राजकुमार राव का कहना है कि उनका बस अभिनेता बनने का सपना था और वह इस सपने को हर दिन जी रहे हैं।

'न्यूटन' जैसी फिल्म का हिस्सा बनने पर अभिनेता को गर्व है, इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता।

अपनी अभिनय क्षमता के बलबूते दर्शकों के दिल में खास जगह बना ली है। फिल्म 'शाहिद' के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके अभिनेता की इस साल प्रदर्शित फिल्मों 'बरेली की बर्फी' और 'न्यूटन' को दर्शकों ने खूब सराहा। उनमें लीक से हटकर काम करने का जज्बा है, इसलिए कहते हैं, 'अभी तो लंबा सफर तय करना है।'

राजकुमार राव की फिल्म 'न्यूटन' विदेशी भाषा की श्रेणी में भारत की ओर से आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में ऑस्कर में भेजी गई थी, हालांकि फिल्म ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई, लेकिन फिल्म को लोगों ने काफी सराहा। यह फिल्म न्यूटन कुमार नाम के एक सरकारी क्लर्क के बारे में है, जिसे चुनावी ड्यूटी पर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जंगली इलाके में भेज दिया जाता है और वह विपरीत हालात के बावजूद निष्पक्ष चुनाव कराने की कोशिश करता है।