जो पाया अपनी मेहनत और बलबूते पर, बेहतरीन अभिनय का श्रेय निर्देशक को: करीना कपूर खान

कभी अपने जीरो फिगर, कभी सैफ अली खान (Saif Ali Khan) के साथ प्रेम और फिर शादी और उसके बाद रैंप पर बेबी बंप के साथ स्वयं को प्रदर्शित करना और पहले बच्चे को जन्म देने के कुछ समय बाद ही वापस ही अपने काम पर लौटके आना और आते ही एक सुपर हिट फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग (Veere Di Wedding)’ देना अपने आप में एक आश्चर्य पैदा करने वाला है और यह सब काम किया है बॉलीवुड में बेबो के नाम से ख्यात अभिेनत्री करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) ने, जो इन दिनों करण जौहर की दो फिल्मों ‘गुड न्यूज (Good News)’ और ‘तख्त (Takht)’ में काम कर रही हैं। इसके साथ ही वे अपना एक रेडियो शो (Radio Show) में भी कर रहे हैं। इन सबके साथ ही उनकी झोली में कई विज्ञापन फिल्में भी हैं जिनमें वे इन दिनों नजर आ रही हैं। अपने इस मुकाम को लेकर उनका कहना है कि यह सब उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपने बलबूते पर पाया है, इसमें किसी ने कोई योगदान नहीं किया है।

हाल ही में एक न्यूज एजेंसी को दिए अपने साक्षात्कार में करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) ने कहा कि जब मैंने फिल्म उद्योग में अपने सफर की शुरुआत की थी, उस समय कोई खाका नहीं तौयार किया था। मैंने कम उम्र में शुरुआत कर दी थी। लेकिन, निश्चित रूप से मैंने अपनी छवि बनाई है क्योंकि मैं अपने चयन को लेकर काफी सचेत रही हूं। हर फिल्म, ब्रांड का प्रचार या सामाजिक कार्य जिससे भी मैं जुड़ी, इन सबके बारे में मैंने फैसला खुद किया।

अभिनेत्री ने कहा, अब तक मैंने जो भी हासिल किया, मनोरंजन व्यवसाय में जिस तरह से मेरे करियर ने आकार लिया..यह सब मेरा है। मैं अपनी सफलता और संघर्ष के लिए न किसी को श्रेय दूंगी और न आरोप लगाऊंगी। लेकिन, वह अपने अंदर के बेहतरीन अभिनय को बाहर लाने के लिए निर्देशकों को श्रेय देती हैं। मैंने हमेशा कहा है कि मैं वास्तव में निर्देशक की अभिनेत्री हूँ। अगर मुझे फिल्मों में अच्छे अभिनय का श्रेय देना होगा तो मैं निर्देशक को दूंगी, जिन्होंने मेरे अंदर के कलाकार को बाहर निकाला।

आने वाले समय में दर्शकों के सामने ‘गुड न्यूज’ और ‘तख्त’ में नजर आने वाली और ‘चमेली’, ‘ओमकारा’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘वीरे दी वेडिंग’ और ‘उड़ता पंजाब’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम कर चुकीं करीना कपूर खान को स्वस्थ इम्युनाइज्ड इंडिया कैम्पेन की एंबेसडर बनाया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों के टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना है।