बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) लगातार जरूरतमंदों की मदद में जुटे हुए हैं। सोनू के सोशल मीडिया अकाउंट पर मदद मांगने वालों की संख्या रोजाना बढती जा रही है। सोनू की फैन फॉलोइंग जबरदस्त है। कई लोगों की जिंदगी में मसीहा बनकर आए एक्टर के फैंस नए-नए अंदाज में उन्हें तोहफे भेज कर आभार जताते रहते हैं। इसी कड़ी में सोनू के एक फैन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर की खासियत ये है कि छोटे से सिमकार्ड पर सोनू के चेहरे को पेंट की मदद से बनाया गया है। सोमिन नामक शख्स के आर्टवर्क को देख सोनू इतने खुश हुए कि रिट्वीट करते हुए मजेदार कैप्शन में लिखा ‘फ्री 10 जी नेटवर्क’।
सोमिन जबलपुर के रहने वाले हैं। इससे पहले भी वे सोनू सूद की वॉल पेंटिंग बना चुके हैं। जो उन्होंने सोनू के बर्थडे पर शेयर किया था। इस टाइम लेप्स वीडियो के जरिए सोनू को जबलपुर आने का निमंत्रण भी दिया था। सोमिन ने ये सिम कार्ड पेटिंग सोनू को खुद जाकर भेंट की थी।
हथेली में समा जाने वाले छोटे से सिम कार्ड पर सोनू की शानदार फोटो देख फैंस न सिर्फ बनाने वाले की बल्कि एक्टर की भी जमकर तारीफ कर रहे हैं। सोनू के कैप्शन पर एक फैन ने लिखा ‘आपके हेल्प करने का नेटवर्क उससे भी तेज है’। दूसरे ने लिखा ‘यह दुनिया का सबसे तेज नेटवर्क है’। एक ने ‘सुपरहीरो’ ही बना डाला।
बता दें कि पिछले दिनों सोनू सूद के घर आयकर विभाग की टीम ने सर्वे किया था। सोनू के घर हुई छापेमारी के बाद खबरें थीं कि एक्टर ने फंड से जमा हुए 18.94 करोड़ रुपए में से महज 1.9 करोड़ रुपए का ही इस्तेमाल किया है। टैक्स से जुड़ी गड़बड़ी का जानकारी मिलने पर तीन दिन तक सोनू के घर छानबीन की गई। इस दौरान टीम को कोरोना काल से शुरु हुए मदद से संबंधित तमाम कागज हाथ लगे। ऐसे में जाते-जाते अधिकारी भी सोनू सूद के काम की तारीफ भी की थी।
सोनू सूद ने बॉम्बे टाइम्स से कहा, 'कोई भी फाउंडेशन जो भी फंड हासिल करता है उसे इस्तेमाल करने के लिए फाउंडेशन को एक साल का समय मिलता है। अगर एक साल की अवधि में फंड को इस्तेमाल ना किया जाए तो इसे अगले साल में ट्रांसफर किया जा सकता है, ये रूल्स हैं। मैंने ये फाउंडेशन महज कुछ महीनों पहले ही शुरू किया है, कोविड की दूसरी लहर के आसपास। वरना कोविड की पहली लहर के समय जब में प्रवासियों की मदद कर रहा था तो लोग खुद आगे बढ़कर मदद कर रहे थे और लोगों के लिए बसें बुक कर रहे थे, हम उस समय पैसे इकट्ठा नहीं कर रहे थे।'