दिलीप कुमार का निधन: बनना चाहते थे फुटबॉल प्लेयर लेकिन बन गए बॉलीवुड के 'ट्रेजडी किंग'

बॉलीवुड के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का बुधवार सुबह 98 साल की उम्र में निधन हो गया। दिलीप कुमार ने सुबह 7:30 बजे मुंबई के ह‍िंदूजा अस्‍पताल में आखिरी सांस ली। दिलीप कुमार को सांस लेने में दिक्कत के चलते 29 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे हिंदुजा अस्पताल की ICU में भर्ती हुए थे। दिलीप कुमार के निधन से हिंदी सिनेमा की एक सदी का अंत हुआ है।

दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद युसूफ खान था। उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को हुआ था। उन्हें हिंदी सिनेमा में 'द फस्ट खान' और 'ट्रेजडी किंग' के नाम से जाना जाता है। हिंदी सिनेमा में मेथड एक्टिंग का क्रेडिट उन्हें ही जाता है। आइए ट्रेजडी किंग को विदा करते हुए उनके जीवन के कुछ अंश के बारे में जानते हैं।

फुटबॉल खेलना ही उनका जुनून था

आपको बता दे, दिलीप कुमार फुटबॉल प्लेयर बनना चाहते थे। लेकिन किस्मत ने उसके लिए बॉलीवुड का तख्त चुन रखा था। दिलीप कुमार एक बेहतरीन फुटबॉल प्लेयर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने स्टूडेंट लाइफ में काफी कोशिश भी की और बेहतरीन प्लेयर भी बने। दिलीप कुमार का जन्म तो पेशावर में हुआ था लेकिन उनके पिता अपने फलों के व्यवसाय को बढ़ाने का सपना लेकर मुंबई चले आए थे। उन्हें स्कूल की फुटबॉल एसोसिएशन का सेक्रेटरी बना दिया गया। अब दिलीप कुमार का सपना था भारत की टीम में खेलने का। लेकिन उनके पिता चाहते थे दिलीप फुटबॉल ना खेलें, बल्कि शतरंज में अपना करियर बनाएं। एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में दिलीप ने बताया था कि जब तक वह जॉब करने लगे थे तब तक (19 साल की उम्र) तक फुटबॉल खेलना ही उनका जुनून था।

1944 में की एक्टिंग की शुरुआत

दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। उन्होंने 'ज्वार भाटा' (1944), 'अंदाज' (1949), 'आन' (1952), 'देवदास' (1955), 'आजाद' (1955), 'मुगल-ए-आजम' (1960), 'गंगा जमुना' (1961), 'क्रान्ति' (1981), 'कर्मा' (1986) और 'सौदागर' (1991) समेत 50 से ज्यादा बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है।