कास्टिंग काउच को लेकर इस एक्ट्रेस ने बताई चौकाने वाली बात, बोलीं- इंडस्ट्री में होता है कोई जबरदस्ती नहीं करता, मेरे साथ भी हुआ...

कास्टिंग काउच बॉलीवुड की एक ऐसी हकीकत है, जिससे कोई नहीं बच पाया है। फिल्‍म इंडस्‍ट्री में कास्टिंग काउच का जिक्र लंबे समय से चला आ रहा है। अक्सर सेलिब्रिटी अपने अनुभव साझा करते नजर आते हैं। कुछ दिन पहले अपनी बोल्डनेस और बेबाक अंदाज के लिए मशहूर अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा ने फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच को लेकर बड़ा चौकाने वाला खुलासा किया था। अब बॉलीवुड एक्ट्रेस चित्रांगदा सिंह ने इंडस्‍ट्री में कास्टिंग काउच को लेकर कई खुलासे किए हैं।

चित्रांगदा सिंह (Chitrangada Singh) ने स्पॉटबॉय को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें भी इसका सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि हर जगह इस तरह के लोग हैं। मॉडलिंग के दिनों से लेकर बॉलीवुड तक- मैंने हर समय ऐसा देखा है। कॉर्पोरेट इंडस्‍ट्री बुरी होती है। हां मेरे साथ ऐसा हुआ है, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी जगह है जहां कोई किसी को फोर्स नहीं करता है।

यहां सबके स्पेस का काफी ध्यान रखा जाता है और उनकी च्वाइस का सम्मान किया जाता है। जब आप कोई अवसर गंवाते हैं तो आप बुरा महसूस करते हैं लेकिन ये आपकी च्‍वॉइस होते है। तो, आप इसके बारे में बात नहीं करते। यह बुरा लगता है और मैंने भी कई प्रोजेक्‍ट्स गंवाए हैं। लेकिन साथ ही साथ अगर आप ऐसा करने में सहज हैं, तो आगे बढ़ें और इसे करें। मैं यहां किसी को जज करनेवाली नहीं हूं। अभिनेत्री ने यह भी कहा कि, जो ऐसी परिस्थिति को झेल चुके हैं मैं उन्‍हें बिल्कुल भी जज नहीं कर रही हूं। ये सिर्फ मेरा प्वॉइंट ऑफ व्यू है। चित्रागंदा सिंह ने यह भी बताया कि वह लॉकडाउन के दिनों में खूब एक्‍सरसाइज कर रही हैं और अपनी फिटनेस का खासा ध्‍यान रख रही हैं।

शर्लिन चोपड़ा ने बताया फिल्म इंडस्ट्री में इस खास कोड का होता है इस्तेमाल

शर्लिन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कास्टिंग काउच के लिए इंडस्ट्री में एक कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। शर्लिन ने बताया कि पहले जब वे फिल्ममेकर्स के पास काम मांगने के लिए जाया करती थीं तो वो कहते थे कि अच्छा ठीक है हम डिनर पर मिलते हैं। और मैं कहती थी कि मैं डिनर पर कितने बजे आऊं? फिर वो कहते थे आधी रात को 11 या 12 बजे। शर्लिन चोपड़ा ने आगे बताया, 'उन लोगो के लिए डिनर का मतलब होता था कंप्रोमाइज। जब ऐसा 4 से 5 बार हो गया तो मैं समझी कि डिनर का असल मतलब क्या होता है। डिनर का फिल्म इंडस्ट्री में मतलब है मेरे पास आओ बेबी।' शर्लिन चोपड़ा ने ये भी बताया कि कैसे उन्होंने इस ऑफर को मना करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि वे प्यार से लोगों को जवाब देती थीं। शर्लिन बोलीं, 'मैंने फिर फैसला किया कि मुझे डिनर करना ही नहीं। फिर जब भी कोई मुझे डिनर कोड वर्ड के साथ कुछ कहता था तो मैं कहती थी मैं डिनर नहीं करती हूं। मेरी डाइट चल रही है। आप ब्रेकफास्ट पर बुला लो, लंच पर बुला लो।' इसके बाद मैं लोगों को दोबारा कभी जवाब नहीं देती थी।