बॉलीवुड में हर दिन कई फ़िल्में बनती हैं और रिलीज़ होती हैं। जिनमें से कुछ फ़िल्में दर्शकों पर अपसा असर छोड़ जाती है तो कुछ का रंग फीका पड़ जाता हैं। बॉलीवुड में फ़िल्में बनाना इतना आसान काम नहीं है क्योंकि एक फिल्म के लिए बहुत तैयारियां करनी पड़ती हैं और दिक्कत तब हो जाती है जब किसी कारणवश उस फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़े और वह रिलीज नहीं हो पाए। आज हम आपको बॉलीवुड की कुछ बड़ी स्टारर फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जो डिब्बाबंद हो गईं। तो आइये जानते है उन फिल्मों के बारे में जो बॉक्स ऑफिस का मुंह देखने के लिए तरस गईं।
* शुद्धि धर्मा प्रोडक्शन के बैनर ट्राले बनने वाली यह फ़िल्म अमिश त्रिपाठी के नॉवेल 'दि लीजेंड्स ऑफ़ मेलुहा' पर आधारित थी। पहले फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं के लिए हृतिक रौशन और करीना कपूर का नाम तय किया गया। लेकिन दोनों ही कलाकारों ने फ़िल्म छोड़ दी। फिर सलमान खान को फ़िल्म में लिए जाने की बात हुई। लेकिन सलमान भी करण जौहर को निश्चित तारीखें नहीं दे पाए। अंत में वरुण धवन और आलिया भट्ट द्वारा यह रोल किये जाने की बात हुई। लेकिन यह फ़िल्म आज तक बन नही पाई है।
* दस मुकुल आनंद की इस फ़िल्म में संजय दत्त और सलमान खान मुख्य भूमिका निभाने वाले थे। फ़िल्म की 40 परसेंट शूटिंग हो चुकी थी। फ़िल्म का गाना 'सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी' काफ़ी हिट रहा था और आज भी लोगों की ज़ुबान पर चढ़ा हुआ है। लेकिन मुकुल आनंद की 1997 में अचानक हुई मौत की वजह से फ़िल्म की शूटिंग रोकनी पड़ गई।
* शूबाईट यह जॉन परेरा नाम के एक 60 वर्षीय आदमी की कहानी है जो खुद की तलाश में निकल पड़ता है। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे। इस फ़िल्म के निर्देशक शुजित सरकार थे। फ़िल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है। लेकिन प्रोडक्शन कंपनियों की कानूनी लड़ाई में इस फ़िल्म का निर्माण ठप्प पड़ गया।
* मुन्ना भाई चले अमरीका राजकुमार हिरानी की मुन्ना भाई सीरीज़ की यह तीसरी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म के काफ़ी हिस्से की शूटिंग हो चुकी थी। फ़िल्म का टीज़र भी रिलीज़ हो गया था। लेकिन निर्देशक राजकुमार हिरानी को इस फ़िल्म का निर्माण तब रोकना पड़ा जब 2013 में संजय दत्त को जेल हो गई। उसके बाद फिर इस फ़िल्म का निर्माण लटका ही रह गया।
* तालिस्मान यह विधु विनोद चोपड़ा का ड्रीम प्रोजेक्ट था। यह कहानी देवकीनंदन खत्री की चंद्रकांता पर आधारित थी। इसमें अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे। इसके निर्देशक राम माधवानी थे। लेकिन कमज़ोर स्क्रिप्ट और पैसे के आभाव के कारण यह फ़िल्म रोकनी पड़ गई।