बॉलिवुड में #MeToo मूवमेंट के बाद कई दिग्गज महिलाओं ने इस बात का ऐलान किया कि वह यौन शोषण के आरोपियों के साथ काम नहीं करेंगे। इन महिलाओं में से एक फेमस ऐक्ट्रेस और फिल्ममेकर नंदिता दास Nandita Das भी थीं, लेकिन अब उन्हीं के पिता मशहूर पेंटर जतिन दास Jatin Das पर एक महिला ने सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोप लगाए हैं। इस कड़ी में गुरूवार को चौथी महिला ने दावा कि किया कि उन्होंने 1999 या 2000 में जब वह महिला महज़ 20 साल की थी, उसका शोषण किया। वह उनके पास एक इंटर्न के तौर पर उनके साथ काम कर रही थी।
गरुषा कटोच नाम की महिला ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक लम्बी पोस्ट के जरिए शेयर किया कि दिसम्बर 2013 में जब वो इंटर्नशिप की तलाश में थी तभी उन्हें पता चला कि जतिन दास सेंटर ऑफ आर्ट्स (JDCA) में इंटर्न की जगह है। उस वक्त उनके मुताबिक वह बस 20 साल की थी। गरुषा ने इंटर्नशिप के लिए JDCA में टेस्ट दिया और पास भी हुई। इसके बाद इंटर्नशिप के लिए जतिन दास के ऑफिस पहुंचीं जहां पहले से ही कुछ इंटर्न्स काम कर रहे थे।
गरुषा ने लिखा कि कुछ दिन में जतिन दास का व्यवहार उनके लिए काफी बदल गया था। एक दिन जतिन, गरुषा के पास धूम्रपान करते हुए पास आकर बैठ गए और बोले -मैं सिगरेट ज्यादा पीता हूं ना? अगली बार मुझे रोक लेना। उन्होंने लिखा कि उस दिन मुझे बहुत अजीब महसूस हुआ।
इसके बाद वह लिखती हैं कि एक दिन काम करते हुए मुझे काफी वक्त हो गया था, साथ के सभी साथी घर चले गए थे लेकिन मैं काम ज्यादा होने की वजह से रुकी रही। उस वक्त घड़ी में 7 या 8 बज रहे होंगे। मैं जैसे ही काम ख़त्म कर के जाने लगी तो उन्होंने (जतिन दास) दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपने साथ रुकने के लिए कहा।
गरुषा ने लिखा कि जतिन बोले मैं तुम्हारे घरवालों से बात कर लूंगा, तुम यहीं रुक जाओ, मेरे पास एक कमरा खाली है। मैं बहुत डरी हुई थी फिर उन्होंने अपनी कार से मुझे घर छोड़ने के लिए कहा, उन दिनों ओला-उबर जैसी कोई सुविधा नहीं थी और तकरीबन रात के 9 बज रहे थे तो किसी भी ऑटो के मिलने की उम्मीद नहीं थी। वहीं साल भर पहले निर्भया जैसा काण्ड देश भर में डर व्याप्त करा चुका था, उनके साथ जाने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता था। रास्ते में उन्होंने एशियाड विलेज में उनके खाली कमरे को देखने को कहा, उन्होंने मुझे वहां अपने स्टाफ से मुझे रूबरू कराया और उनसे कहा कि मैं वहीं रुकने वाली हूं। मैं जैसे ही कमरे में गईं उन्होंने (जतिन दास) ने मुझे जकड़ लिया और किस करने की कोशिश की। उस वक्त मेरी आंखों में आंसू थे और मुझे यकीन है उन्होंने भी उसे देखा ही होगा। इस घटना के बाद गरुषा का लिखना है कि वह बहुत मुश्किल से उस पल से निकलीं, उन्होंने इस बारे में अपने सीनियर और घरवालों से बात की और बहुत ही जल्द वह शहर भी छोड़ दिया साथ ही अपना फोन नम्बर भी बदल लिया।
जतिन दास ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनका इनसे कुछ लेना देना नहीं है।
भारत में चल रहे मी टू अभियान के तहत कागज बनाने वाली एक कंपनी की सह संस्थापक निशा बोरा ने सबसे पहले 16 अक्टूबर को उनके खिलाफ आरोप लगाए थे। बोरा ने दावा किया कि दास ने 14 साल पहले अपने स्टूडियो में उनसे छेड़छाड़ की। #Metoo अभियान में एक्टिव संध्या मेनन द्वारा गुरूवार को शेयर की गई एक पोस्ट में मालविका कुंडू ने आरोप लगाया कि जब वह 18 वर्ष की थीं तो दास ने उनसे दुर्व्यवहार किया था। इस मामले में जब 76 वर्षीय दास से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, 'यह बेहद अभद्र है। मैं नहीं जानता कि वो लोग वहां क्या करने की कोशिश कर रहे हैं। मेरा इससे कुछ लेना देना नहीं है। मैं नहीं जानता कि और क्या कह सकता हूं।'
कुंडू ने आरोप लगाया कि दास अनावश्यक रूप से उसे छू रहे थे और लगातर उसे बेबी कह रहे थे। वह भी तब जब वह उन्हें ऐसा करने के लिये मना कर रही थी। जब वह उनके लिये काम करती थीं तो वह उसके बेहद करीब खड़े होते थे।
उन्होंने लिखा कि यह सबकुछ नौकरी के पहले ही दिन उनके (दास के) घर पर हुआ, जिसमें उनके किताबों के संग्रह को लिस्टिंग करने की जरूरत थी। उन्होंने कहा, 'उन्होंने (जतिन दास) मुझे इतना असहज कर दिया कि मैं इस नौकरी में बिताए गए तीन दिनों से नफरत करने लगी। कहने के बाद भी उनका मुझे बेबी कहना नहीं रूका। लगातार बेबी कहने के अलावा वह अक्सर मुझे अनावश्यक रूप से छूते थे।'
पिता पर लगे सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोपों के बाद नंदिता ने कहा, 'सच्चाई की जीत होगी'पिता और पद्मभूषण से सम्मानित चित्रकार जतिन दास पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा है कि वह 'मी टू' का समर्थन करती हैं और उन्होंने भरोसा दिलाया कि सच्चाई की जीत होगी। नंदिता ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं 'मी टू' की मजबूत समर्थक हूं और दोहराना चाहूंगी की पिता पर लगे आरोपों के बाद भी अपनी आवाज उठाऊंगी, जिसे उन्होंने स्पष्ट रूप से नकारा है।"
उन्होंने लिखा, "मैं शुरुआत से इस बात पर जोर दे रही हूं कि यह समय महिलाओं (और पुरुषों) को खुलकर बोलने और सुरक्षित महसूस करवाने का है, साथ ही आरोपों की सच्चाई भी महत्वपूर्ण है। मेरा अजनबियों और दोस्तों से स्पर्श हुआ है, जो चिंतित हैं और मेरी ईमानदारी पर भरोसा करते हैं।"