जब अध्यापक ने कहा- गाना-बजाना जिंदगी में काम नहीं आएगा, तो किशोर दा ने दिया था ये जवाब...

अपने गीतों से सभी का दिल जीतने वाले किशोर कुमार का आज जन्मदिन है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर कुमार अपने संगीत में जितने प्रखर थे, पढाई में उतने ही कमजोर। जी हाँ, उनकी हाई स्कूल परीक्षा की मार्कशीट इस बात की गवाही देती है जिसमें उन्हें कुल 800 में से 326 अंक मिले थे और वह तृतीय श्रेणी में पास हुए थे। और इसके बाद उन्होंने क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया था। आज उनके जन्मदिवस के मौके पर हम आपको उनके कॉलेज से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं।

एक बार नागरिक शास्त्र के पीरियड में किशोर अपनी कक्षा में टेबल को तबले की तरह बजा रहे थे। प्रोफेसर ने उन्हें फटकार लगाते हुए हिदायत दी कि वह पढ़ाई पर ध्यान दें, क्योंकि गाना-बजाना उन्हें जिंदगी में बिल्कुल काम नहीं आयेगा। इस पर किशोर ने अपने अध्यापक को मुस्कुराते हुए जवाब दिया था कि इसी गाने-बजाने से उनके जीवन का गुजारा होगा।
किशोर कुमार अपने छोटे भाई अनूप कुमार के साथ क्रिश्चियन कॉलेज के पुराने हॉस्टल की पहली मंजिल के एक कमरे में रहते थे। मौसम की मार सहने और संरक्षण के अभाव में करीब 100 साल पुराना होस्टल अब खण्डहर में बदल गया है। ऐसा कहा जाता है कि हॉस्टल के उनके कमरे में किताबें कम और तबला, हारमोनियम तथा ढोलक जैसे वाद्य यंत्र ज्यादा रहते थे।

जब किशोर कुमार वर्ष 1948 में पढ़ाई अधूरी छोड़कर इंदौर से मुंबई चले गये थे। लेकिन क्रिश्चियन कॉलेज के कैंटीन वाले के उन पर पांच रुपये और 12 आने (उस समय प्रचलित मुद्रा) उधार रह गए थे। माना जाता है कि यह बात किशोर कुमार को याद रह गयी थी और उधारी की इसी रकम से 'प्रेरित' होकर फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' (1958) के मशहूर गीत "पांच रुपैया बारह आना" का मुखड़ा लिखा गया था। इस गीत को खुद किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने आवाज दी थी।