वर्ष 2018 को बॉलीवुड जहाँ सफलता के लिए याद करेगा वहीं दूसरी तरफ इस वर्ष को वह बॉलीवुड नायिकाओं के विवाह बंधन में बंधने को भी याद करेगा। इस वर्ष बॉलीवुड की कई नामचीन नायिकाओं—सोनम कपूर, प्रियंका चोपडा, दीपिका पादुकोण—ने स्वयं को विवाह के पवित्र बंधन में बांधा, वो भी तब जब यह सभी नायिकाएँ अपने करियर के शिखर पर हैं। शादी को अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं ने कवर किया था। हालांकि, इन शादियों में खास बात यह रही है कि शादी करने वाली इन अभिनेत्रियों ने या तो अपना करियर शुरू ही किया था, या फिर वे करियर के शिखर पर हैं। जबकि आमतौर पर हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियां करियर के ढलान पर शादी करती रही हैं।
वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अनुज अंलकार कहते हैं, ‘दरअसल, पहले फिल्मों में अभिनेत्रियों के लिए कुछ खास नहीं होता था। शादीशुदा अभिनेत्रियों को काम मिलने की संभावना और घट जाती थी। इसलिए अभिनेत्रियां करियर के ढलान पर शादी करती थीं, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। उनका कहना है कि कई साल पहले कोई फिल्मकार सबसे पहले हीरो को साइन करता था और उसके बाद फिल्म की स्क्रिप्ट से लेकर कास्टिंग और हर चीज में उस हीरो का हस्तक्षेप होता था। हीरो के नाम पर फिल्में बनती थीं, चलती थीं। ऐसे में हीरो अपनी पसंद की हीरोइन चुनता था। नई लडकियों के आगे शादीशुदा हीरोइनें पीछे छूट जाती थीं। लेकिन आज कहानी पर फिल्में बन रही हैं। महिला केंद्रित फिल्में बन रही हैं। महिलाओं का महत्व पहले से बढा है। हीरो के नाम पर फिल्में बनाने का वक्त बीत गया है। इसका परिणाम है कि आज अभिनेत्रियों के भीतर से भय खत्म हो रहा है।
शादी के बारे में खुद दीपिका पादुकोण का कहना है कि, ‘डर किस बात का। शादी अपनी जगह है, करियर अपनी जगह। दोनों अलग-अलग चीजें हैं।’ इसके अतिरिक्त एक और चीज है जिसने अभिनेत्रियों में करियर को लेकर डर खत्म किया है। वह है फिल्मों का विषय। वर्तमान में कंटेंट प्रधान फिल्मों का दौर चल रहा है, जिसमें यह नहीं देखा जाता कि नायिका शादीशुदा है या कुँवारी। दर्शक सिर्फ विषय और उसके प्रस्तुतीकरण के चलते फिल्म देखता है। इसकी सबसे सशक्त बानगी थी नीना गुप्ता अभिनीत फिल्म ‘बधाई हो’। 50 के पडाव को पार कर चुकी इस अभिनेत्री को केन्द्र में रखकर बनाई गई यह फिल्म बॉलीवुड में परिवर्तन को सशक्तता के साथ पेश करती है।
‘मासूम’, ‘काबिल’, ‘जन्नत-2’, ‘कृष’, ‘कृष-3’, ‘गुंडे’ सहित कई फिल्मों की पटकथा लिख चुके पटकथाकार संजय मासूम सितारों की शादियों पर कुछ अलग राय रखते हैं। उनका कहना है, ‘शादी सबका निजी मामला है और इसका फैसला उनका खुद का होता है। वक्त बदलता है, धारणाएं बदलती हैं, सोच बदलती है। पहले की सोच थी कि जिस हीरोइन की शादी हुई, तो उसकी फिल्म नहीं देखेंगे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। दर्शकों को कंटेट से मतलब है, व्यक्तिगत जीवन से इतना मतलब नहीं रह गया है और मुझे लगता है कि यह एक बदलाव है।’