गत सप्ताह बॉक्स ऑफिस पर हास्य के नाम पर परोसे गए रायते को देखकर अफसोस हुआ था लेकिन आज निर्माता दिनेश विजन (Dinesh Vijan) की लक्ष्मण उत्तेकर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘लुका छुपी’ देखकर न सिर्फ मन प्रसन्न हुआ अपितु न चाहते हुए भी बेतहाशा ठहाके लगाते हुए इस फिल्म को देखा। पूरी तरह से पैसा वसूल है यह फिल्म। अपने विषय और प्रस्तुतीकरण के बलबूते पर ‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’ बॉक्स ऑफिस पर बड़ी चमत्कारिक फिल्म सिद्ध होगी अब इसमें कोई दोराय नहीं है।
निर्देशक लक्ष्मण उत्तेकर ने एक सामाजिक मुद्दा उठाया है। महानगरों में युवाओं का लिव इन रिलेशन में रहना आम बात हो गई है, लेकिन छोटे और मझोले शहरों में इसे अभी तक इतनी आसानी से स्वीकार नहीं किया जा रहा है। युवाओं के लिए पूरी आजादी के साथ प्यार करना या रिलेशनशिप में रहना समाज को हजम नहीं होता। अगर कोई लिव इन में रहता है तो समाज की नजर में यह एक बहुत बड़ा गुनाह माना जाता है। फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें दिखाने की कोशिश की गई है कि नए युग में भी लिव इन रिलेशनशिप को लेकर समाज का कैसा रवैया है। रिलेशनशिप एक समझौता नहीं है, प्यार और शादी दो अलग-अलग चीजें हैं। शादी से पहले लिव इन में रहना क्यों सही है, यह फिल्म में समझाने की सार्थक कोशिश की गई है।
फिल्म की कहानी ज्यादा प्रभावी नहीं है लेकिन उसे फिल्माया बेहद खूबसूरती से गया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका फिल्म के किरदारों ने निभाई है जिन्हें निर्देशक इस खूबी के साथ पेश किया है कि शुरू से लेकर अन्त तक आप अपनी हंसी को रोक नहीं पाएंगे।
गुड्डू के किरदार में कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) पूरी तरह से डूबे नजर आए हैं। उन्होंने हर दृश्य चाहे वो कॉमेडी हो, रोमांस हो या फिर बेबसी का हो बेहतरीन ढंग से निभाया है। कृति सेनन (Kriti Sanon) ने भी उनका अच्छा साथ दिया है। दोनों की जुगलबंदी दर्शकों को बांधे रखने में सफल है। अभिनय में सोने पे सुहागा हैं पंकज त्रिपाठी जिन्होंने फिल्म में एक बेहद रोचक किरदार निभाया है। अपार शक्ति खुराना ने भी दर्शकों को हंसाने में सफलता प्राप्त की है। छोटे-छोटे किरदारों में नजर आने वाले अतुल श्रीवास्तव, विश्वनाथ चटर्जी, नेहा सरार्प और सपना सेंड अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में सफल रहे हैं।
बात करें निर्देशन की तो लक्ष्मण उत्तेकर ने अपने पहले निर्देशकीय प्रयास में बेहतरीन काम किया है। हालांकि मध्यान्तर से पूर्व फिल्म कुछ कमजोर नजर आती है लेकिन मध्यान्तर बाद जिस तरह से उन्होंने कमान को संभाला है उसकी तारीफ ही की जानी चाहिए। सैकंड हाफ में उन्होंने जो कॉमिक टच गढ़ा है उसने दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया है। फिल्म का छायांकन (सिनेमेटोग्राफी) शानदार है। सम्पादक के तौर पर मनीष प्रधान ने फिल्म को बहुत चतुराई से सम्पादित किया। हां गीत संगीत के मामले में जरूर फिल्म कमजोर पड़ जाती है। फिल्म में चार पुराने गीतों को रीक्रिएट किया गया है जो बेसरकारक हैं।
बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म जोरदार कमाई करेगी इसमें कोई शक नहीं है। फिल्म को जो पॉजिटिव रेस्पांस मिला है वह इसके कारोबार को बढ़ाने में सहायक होगा। पंकज त्रिपाठी के किरदार को दर्शक लम्बे समय तक याद रखेंगे। पूरी तरह से युवाओं को केन्द्र में रखकर बनाई गई यह फिल्म महानगरों के साथ-साथ मझोले और छोटे शहरों में भी जबरदस्त कमाई करेगी।