
बाहुबली फिल्म के कद्दावर खलनायक भल्लालदेव को भला कौन भूल सकता है? इस किरदार ने जितना प्रभाव पर्दे पर डाला, उससे कहीं ज्यादा गहराई राणा दग्गुबाती की असल जिंदगी की कहानी में छिपी है। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं—एक ऐसी मिसाल जो बताती है कि जब जीवन संघर्ष दे, तो उसे ताकत बनाकर वापसी की जा सकती है।
जब कैमरे के पीछे छिपी हो हकीकत की सबसे बड़ी लड़ाईराणा दग्गुबाती इन दिनों अपनी ओटीटी सीरीज ‘राणा नायडू 2’ को लेकर चर्चा में हैं, जो 13 जून से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है। सीरीज के प्रमोशन के दौरान दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी सेहत से जुड़ी परेशानियों का जिक्र किया, जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें एक आंख से दिखाई नहीं देता और किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुका है, लेकिन इन तमाम शारीरिक संघर्षों को उन्होंने कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।
अल्लू अर्जुन के साथ किस्सा: जब आंख का पानी बना मजाकबॉलीवुड बबल को दिए इंटरव्यू में राणा ने एक मजेदार किस्सा साझा किया—एक दिन अल्लू अर्जुन मुझे घूरते हुए बोले, ‘तुम रो रहे हो?’ मैंने झल्लाकर कहा, ‘नहीं यार, मेरी आंख से पानी बह रहा है… दाहिनी आंख से मुझे दिखाई नहीं देता।’ यह किस्सा सुनकर भले ही मुस्कान आ जाए, लेकिन इसके पीछे छिपी हकीकत बेहद गहरी है। राणा ने स्वीकार किया कि कैमरे के सामने एक्शन सीन करते वक्त उन्हें कई बार तकलीफ झेलनी पड़ती है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
शारीरिक कमजोरी को ताकत में बदलाराणा का मानना है कि अधिकतर लोग अपनी शारीरिक सीमाओं को छिपाते हैं, जिससे वे अंदर से टूट जाते हैं, लेकिन उन्होंने इन सीमाओं को अपनी ताकत बना लिया। वे कहते हैं, “जब आप अपनी कमजोरी को स्वीकार कर लेते हैं, तो वही आपकी सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सच्चा हीरो वही होता है जो सिर्फ पर्दे पर नहीं, असल जिंदगी में भी लड़ता है—खुद से, हालातों से, और फिर जीतकर लौटता है।
एक्टर से प्रेरणा तक: राणा का असल अवतारआज राणा दग्गुबाती सिर्फ एक चर्चित एक्टर नहीं हैं। उन्होंने जिस जज़्बे और हिम्मत के साथ अपनी बीमारियों का सामना किया, वह उन्हें लाखों युवाओं के लिए रोल मॉडल बनाता है। उनकी कहानी बताती है कि चमकता चेहरा और बुलंद आवाज़ सिर्फ किरदार का हिस्सा नहीं होती, बल्कि जब दर्द के साये में भी कोई मुस्कुराता है और फिर सफलतापूर्वक वापसी करता है, तभी वह असल मायनों में 'टर्मिनेटर' कहलाता है।
राणा की कहानी हर उस इंसान के लिए, जो हिम्मत हार चुका हैराणा दग्गुबाती की कहानी हम सभी को यह सिखाती है कि शारीरिक सीमाएं मंज़िल की बाधा नहीं होतीं, बशर्ते हिम्मत और विश्वास कायम रहे। उन्होंने सिर्फ अभिनय नहीं किया, बल्कि जीवन को पर्दे से बाहर भी एक कलाकार की तरह जिया—जिसे हर चुनौती में एक नई भूमिका निभानी आती है। राणा का साहस, उनकी स्वीकार्यता, और हर परिस्थिति में मुस्कराते रहना हमें याद दिलाता है कि सिनेमा के पर्दे के पीछे भी असली नायक मौजूद होते हैं—जो दुनिया से नहीं, अपने भीतर के अंधेरे से लड़ते हैं।
अगर आप एक प्रेरणादायक कहानी देखना चाहते हैं, तो ‘राणा नायडू 2’ जरूर देखें, क्योंकि पर्दे पर दिखता राणा जितना दमदार है, पर्दे के पीछे का राणा उससे कहीं ज्यादा जिंदादिल और नायकत्व से भरपूर है।