अन्नू कपूर (68) दिग्गज अभिनेताओं की श्रेणी में शुमार किए जाते हैं। उनका रोल छोटा हो या बड़ा वे उसमें पूरी जान डाल देते हैं। अन्नू कई सालों से दर्शकों का मनोरंजन करते आ रहे हैं। उन्होंने टीवी और फिल्म दोनों जगह अपनी छाप छोड़ी है। जल्द ही उनकी फिल्म ‘हमारे बारह’ रिलीज होने वाली है। हालांकि इसको लेकर बवाल मचा हुआ है। कई लोगों का मानना है कि मूवी के जरिये एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है। फिल्म के कलाकारों को जान से मारने की धमकियां मिलने के साथ इस पर बैन लगाने की मांग भी की जा रही है।
इस बीच, अन्नू ने एक इंटरव्यू के दौरान इस मामले पर बात की है। अन्नू ने ‘न्यूज18 शोशा’ के साथ बातचीत में कहा कि पर्सनल और इम्पर्सनल लेवल पर मैं नास्तिक हूं। मेरे डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स को लगा कि उनके नजरिये को पर्दे पर उतारने के लिए मैं सही आदमी हूं। यह फिल्म करने की वजह यह है कि मुझे अच्छा पैसा मिल रहा था और आखिर में वही मैटर करता है। मैं धार्मिक इंसान नहीं हूं।
मुझे धर्म या राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। मैं पैसे के लिए काम करता हूं। पर खड़ा पैसे के लिए ना मैं कभी किसी की जेब काटूंगा, ना चोरी करूंगा ना गला घोटूंगा और ना अपने देश को बेचूंगा। मैं लोगों से दरख्वास्त करूंगा कि फिल्म देखें फिर तय करें कि हमारी फिल्म कह क्या रही है। सेंसर बोर्ड जिम्मेदार अथॉरिटी है जिसने फिल्म पास की।
जो हमारी फिल्म के खिलाफ आवाज उठाना चाहता है उसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए ना कि गाली और बंदूक से। अगर वे बंदूक ला सकते हैं तो हम भी लाएंगे। फिल्म को लोग गाली दे रहे हैं इसका मतलब वे पहले ही हार गए हैं और हम जीत गए हैं।
विद्या बालन के पति सिद्धार्थ रॉय कपूर बनाएंगे देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की बायोपिकएक्ट्रेस विद्या बालन के पति निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर ने देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की बायोपिक को लेकर ऐलान किया है। सुकुमार आजादी के बाद देश के पहले आम चुनाव के सूत्रधार माने जाते हैं। सिद्धार्थ रॉय कपूर फिल्म्स ने ट्रिकीटेनमेंट मीडिया के साथ मिलकर बायोपिक के सभी राइट्स ले लिए है। सिद्धार्थ ने सोमवार (3 जून) को इस बायोपिक की घोषणा की।
सिद्धार्थ ने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “हम अपने नेशनल हीरोज में से एक सुकुमार सेन के जीवन पर बायोपिक बनाने को लेकर प्राउड फील कर रहे हैं। सुकुमार सेन ने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अशिक्षा से निपटने के लिए अलग-अलग चुनाव चिह्न और रंगों द्वारा राजनीतिक दलों की पहचान करने के सिस्टम से लेकर गड़बड़ियों से बचने के लिए अंगुली पर अमिट स्याही लगाने की सोच तक…उनके कई इनोवेशन आज भी लागू हैं।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करने में सुकुमार सेन का खास योगदान है। उनकी सराहना की जानी चाहिए।” हालांकि फिलहाल कास्ट को लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया है कि फिल्म में कौन सुकुमार का किरदार निभाएगा पर जल्द ही इसकी अनाउंसमेंट भी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि सुकुमार एक सिविल सर्वेंट थे जो मार्च 1950 से दिसंबर 1958 तक भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त रहे।