अपनी बेटी की नकाब पहनें तस्वीर शेयर कर ट्रोल हुए ए. आर. रहमान, आलोचना होने पर बेटी ने दिया मुंहतोड़ जवाब

फिल्मों में ए.आर. रहमान के नाम से ख्यात संगीतकार का पूरा नाम ‘अल्लाह रक्खा रहमान’ है, जिन्होंने मुख्य रूप से हिन्दी और तमिल फिल्मों में संगीत दिया है। ए. आर. रहमान उसी का संक्षिप्त रूप है। रहमान ने अपनी मातृभाषा तमिल के अतिरिक्त हिंदी तथा कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। टाइम्स पत्रिका ने उन्हें ‘मोजार्ट ऑफ मद्रास’ की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय व्यक्ति हैं। ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए दो ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इसी फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार भी मिले। ऑस्कर विनर मशहूर संगीतकार ए आर रहमान के संगीत के हर कोई दीवाने हैं। वह एक ऐसे संगीतकार हैं, जो अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बिल्कुल अलग-अलग रखते हैं। उन्हें अपनी पर्सनल लाइफ को लाइमलाइट से दूर रखना पसंद है, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने परिवार की एक फोटो शेयर की, जिसमें नीता अंबानी के साथ उनकी पत्नी और दोनों बेटियां थीं।

दरअसल पिता रहमान की फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' के संगीत के दस साल पूरे होने के मौके पर उनकी बेटियां और पत्नी नीता अंबानी के साथ नजर आएं। 51 वर्षीय रहमान ने यह तस्वीर साझा की थी, जिसमें उनकी पत्नी सायरा और बेटी रहीमा बिना नकाब पहने दिखाई दे रही हैं जबकि खतीजा साड़ी और नकाब पहनी नजर आई थीं, जिस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी गई थीं। रहमान ने अपनी बेटी के नकाब पहनने पर सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना का जवाब दिया है। रहमान ने कहा कि उसे अपनी पसंद की पोशाक चुनने अधिकार है। खतीजा ने भी इस मुद्दे पर चुप रहने की बजाए, इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए फेसबुक पर लिखा कि "मैं बताना चाहूंगी कि जो कपड़े मैं पहनती हूं या जो फैसले मैं जिंदगी में लेती हूं, उनका मेरे माता-पिता से कोई लेना-देना नहीं है। नकाब पहनना मेरा निजी फैसला था। मैं वयस्‍क हूं और अपनी जिंदगी के फैसले लेना जानती हूं।"

बता दे, 1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरू किया। 1992 में उन्हें फिल्म निर्देशक मणिरत्नम ने अपनी फिल्म ‘रोजा’ में संगीत देने का प्रस्ताव दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म में ही रहमान ने फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। इस पुरस्कार के साथ आरंभ हुआ रहमान की जीत का सिलसिला आज तक जारी है।

रहमान के गानों की 200 करोड से भी अधिक रिकॉर्डिंग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जीन्स, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लमडॉग मिलियनेयर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की 50वीं वर्षगाँठ पर 1997 में ‘वंदे मातरम्’ एलबम बनाया, जो अत्यधिक सफल रहा। भारतबाला के निर्देशन में बनी एलबम ‘जन गण मन’, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुडी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का समूह बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।