रिलीज से पहले मुसीबत में फंसी ‘83’ फिल्म! दीपिका सहित इनके खिलाफ केस, कंगना ने किया हाईकोर्ट का रुख

एक्टर रणवीर सिंह और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की फिल्म '83' का इंतजार सिनेमाई फैंस के साथ क्रिकेट के दीवानों को भी है। यह फिल्म 1983 में भारत को मिली ऐतिहासिक वनडे विश्व कप जीत की कहानी है। हालांकि फिल्म रिलीज से पहले ही मुश्किलों में घिर गई है। यूएई बेस्ड एक फाइनेंसर कंपनी एफजेडई ने मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट में फिल्ममेकर्स के खिलाफ साजिश रचने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है, जिसमें दीपिका का नाम भी शामिल है। निर्माताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 405, 406, 415, 418, 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है।

शिकायत में दीपिका के साथ साजिद नाडियाडवाला, कबीर खान, फैंटम फिल्म्स और अन्य चार के नाम शामिल हैं। दीपिका इस फिल्म की को-प्रोड्यूसर एक हैं। एफजेडई कंपनी ने बताया कि विब्री मीडिया से इस फिल्म में इनवेस्टमेंट को लेकर बात हुई थी और उसने वादा किया था कि बढ़िया रिटर्न मिलेगा। इसके एवज में उसने 16 करोड़ रुपए इनवेस्ट किए, लेकिन मेकर्स ने फिल्म के अधिकार देने में धोखाधड़ी की। फिल्म '83' में रणवीर ने पूर्व महान ऑलराउंडर कपिल देव की भूमिका निभाई है। फिल्म 24 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

कंगना रनौत के खिलाफ एक सिख संगठन ने की थी शिकायत

एक्ट्रेस कंगना रनौत ने एक सिख संगठन की शिकायत के बाद मुंबई पुलिस द्वारा नवंबर में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने के अनुरोध को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि कंगना ने 21 नवंबर को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को एक खालिस्तानी आंदोलन के रूप में चित्रित किया था। इसके बाद पुलिस ने कंगना के खिलाफ ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ का केस फाइल किया था। कंगना ने अपनी पोस्ट में ‘खालिस्तानी आतंकवादियों’ का जिक्र किया था।

कंगना द्वारा वकील रिजवान सिद्दीकी के माध्यम से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि उनकी पोस्ट का गलत अर्थ निकाला गया और उनका सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करने का कोई इरादा नहीं था। यह पोस्ट किसानों के खिलाफ नहीं बल्कि एक प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ है और यह अभिव्यक्ति की आजादी के उनके मौलिक अधिकार के तहत है। उच्च न्यायालय को ‘‘एफआईआर को रद्द करके कंगना के वैध अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए।’’ याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना है।