Flashback 2017 : क्लाइमैक्स में कमजोर थी 'रईस', 'काबिल' से थी नए की उम्मीद

वर्ष 2017 समाप्ति की ओर अग्रसर है। बॉक्स ऑफिस पर कई फिल्मों का प्रदर्शन हुआ लेकिन उनमें सफलतम फिल्मों की गिनती चुनिंदा रही है। उंगलियों पर गिनने लायक फिल्मों ने 100 करोड के क्लब में प्रवेश किया और वर्ष की एक मात्र सबसे बड़ी हिट फिल्म रही 'गोलमाल अगेन' जिसने बॉक्स ऑफिस पर 250 करोड का कारोबार में सफलता प्राप्त की। एक अरसे बाद कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 50 दिन पूरे करने जा रही है। डब होकर हिन्दी में प्रदर्शित हुई दक्षिण भारत की बहुप्रतीक्षित, बहुचर्चित फिल्म 'बाहुबली-2: द कन्क्लूजन' ने हिन्दी बॉक्स ऑफिस पर 550 करोड का कारोबार करके स्वयं को वर्ष की सर्वत्र सुपरहिट फिल्म साबित किया। हिन्दी भाषी दर्शकों ने इस फिल्म की तहे दिल से तारीफ की।

आइए डालते हैं एक नजर जनवरी 2017 में प्रदर्शित हुई दो समानान्तर फिल्मों 'रईस' और 'काबिल' पर। आपसी प्रतिद्वंद्विता के चलते इन दोनों फिल्मों ने खासी चर्चाएँ बटोरी लेकिन इन चर्चाओं से बॉक्स ऑफिस को कोई फायदा नहीं हुआ। आँकड़ों के हिसाब से भले ही दोनों फिल्मों ने 100 करोड से ज्यादा का कारोबार करने में सफलता प्राप्त की लेकिन इन फिल्मों से दर्शकों को जो अपेक्षाएँ थी, उनको पूरा करने में यह दोनों असफल रहीं।

शाहरुख खान की 'रईस' से दर्शकों को उम्मीद थी कि उन्हें खलनायक के रूप में नए शाहरुख खान के दर्शन होंगे लेकिन अफसोस वे दिखावटी एंटी हीरो ही साबित हुए। 'रईस' जहाँ निर्देशकीय पकड़ और प्रस्तुतीकरण में मजबूत थी, वहीं दूसरी ओर उसका क्लाइमैक्स फिल्म का सबसे कमजोर पहलू था, जिसने दर्शकों को निराश किया था। फिल्म जब अन्त की ओर बढ़ती है तो दर्शकों को उम्मीद होती है शाहरुख खान और नवाजुद्दीन के मध्य कुछ ऐसे दृश्य होंगे जो फिल्म को यादगार बनाएंगे लेकिन जिस तरह से निर्देशक राहुल ढोलकिया ने फिल्म का अन्त किया उसने उसे एम सामान्य फिल्म बना दिया। फर्जी मुठभेड में दिखायी गई शाहरुख की मौत विषय के अनुरूप नहीं थी।

ऋतिक रोशन की 'काबिल' को भी दर्शकों ने सीमित सराहा। फिल्म निर्माता राकेश रोशन ने अपनी फिल्म को बहुत कामयाब बताया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड से ज्यादा का कारोबार भी किया। हालांकि फिल्म की पटकथा में बहुत लोच थे, जिनकी वजह से फिल्म सशक्त नहीं बन पाई। जिस अंदाज में 'अंधों' का व्यवहार दिखाया गया, वह दर्शकों के गले नहीं उतरा। उस पर तुर्रा यह कि उन्हें नृत्य में पारंगत दिखाया गया। नृत्य करते हुए उन्होंने जो स्टेप्स उठाए वे आँखों वाले नृतक भी नहीं उठा पाते हैं। इसके अतिरिक्त फिल्म के क्लाइमैक्स में जिस तरह से नायक (ऋतिक रोशन) को खलनायक से लड़ते हुए दिखाया गया, वह भी संभव नहीं था। पूरी फिल्म में खलनायक नायक पर भारी था, लेकिन अंतिम दृश्य में नायक खलनायक पर हावी हो जाता है। उसे जिस तरह से हावी होते दिखाया गया, वह गले उतरने लायक नहीं था।

इन दोनों फिल्मों की खूबी इनका गीत संगीत था और सितारों का अभिनय था। ऋतिक रोशन ने अंधे के रूप में कुछ दृश्यों में प्रभावशाली अभिनय किया, वहीं शराब माफिया के किरदार में शाहरुख खान जमे। उनकी भूमिका को प्रभावी बनाने में संवादों का हाथ भी रहा। कुल मिलाकर यह वर्ष का पहला बड़ा टकराव था, जिसमें दोनों सामान्य साबित हुए।