तीन सप्ताह बाद 1 दिसम्बर को निर्देशक संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म 'पद्मावती' का प्रदर्शन होने जा रहा है। इस फिल्म का शुरूआत से ही राजस्थान में राजपूत समाज द्वारा विरोध किया जा रहा है। करणी सेना नामक राजपूत संगठन ने इसका विरोध तब से शुरू कर दिया था, जब
संजय लीला भंसाली ने इसकी घोषणा की थी। उसके बाद जब जयपुर में इसकी शूटिंग की जा रही थी, तब राजपूत संगठनों ने बहुत तोडफ़ोड़ की, यहाँ तक की संजय लीला भंसाली की पिटाई भी की गई। इन दिनों इस फिल्म का राजस्थान में जबरदस्त विरोध हो रहा है। हाल ही में चित्तौडग़ढ़ में इसके विरोध में राजपूत समाज के साथ आम जनता यहाँ तक के नेता भी सडक़ों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि फिल्म में महारानी पद्मावती को बदनाम करने की कोशिश की गई है। पद्मावती के रूप में दीपिका पादुकोण को नाचते गाते देखकर राजपूत समाज भी गुस्से में है।
राजस्थान में इस फिल्म के प्रदर्शन को लेकर हो रहे विरोध ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। शनिवार 4 नवम्बर को केन्द्रीय पेयजल व स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने इस पर सवाल उठाते हुए ट्विटर पर खुला खत लिखा। उन्होंने लिख फिल्मों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। अलाउद्दीन खिलजी की रानी पद्मावती पर बुरी नजर थी और इसके लिए उसने चित्तौड़ को नष्ट कर दिया था। वे इस विषय पर तटस्थ नहीं रह सकतीं। विवाद सुलझाने के लिए इतिहासकार, फिल्मकार, आपत्ति करने वाले समुदाय के प्रतिनिधि एवं सेंसर बोर्ड मिलकर कमेटी बनाएँ और फैसला करें। हालांकि सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी पिछले दिनों स्पष्ट तौर पर कह चुकी हैं कि फिल्म प्रदर्शन को लेकर कोई समस्या नहीं हो, इसके लिए सरकार ध्यान रखेगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने तो यह कह दिया कि सरकार ध्यान रखेगी लेकिन जिस प्रदेश में इस फिल्म को लेकर इतना बवाल मच रहा है वहाँ की सरकार ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जरूर हो रही है कि सरकार अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए इस पर तटस्थ रहना चाहती है।
वहीं दूसरी ओर '
पद्मावती' की रिलीज को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन से निर्माता परेशान हैं। निर्देशक भंसाली को धमकियाँ मिल रही हैं। तेजी से बढ़ रहे विरोध से फिल्म को नुकसान पहुँच सकता है, इसलिए भंसाली ने 'पद्मावती' की इंश्योरेंस पॉलिसी करवाई है, इसके तहत उन्हें 160 करोड़ रुपये का इंश्योरेंस कवर मिला है। इस फिल्म के प्रदर्शन के आसपास विरोध और तेज हो जाएंगे। ऐसे में लोग सिनेमा में जाकर फिल्म देखने का जोखिम कम लेंगे। इसका सीधा असर फिल्म के कारोबार पर भी पड़ेगा। राजस्थान में सिनेमा हॉल के मालिकों को पहले ही धमकियाँ मिल चुकी हैं। सेंसर बोर्ड दोनों पक्षों में राजीनामा करवाने की कोशिश में जुटा हुआ है। वहीं करणी सेना और कुछ नेताओं का कहना है कि फिल्म प्रदर्शन से पहले उन्हें दिखायी जानी चाहिए।
इस इंश्योरेंस पॉलिसी के मुताबिक फिल्म प्रदर्शित होने के बाद अगर टिकट बेचने के दौरान किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन, झगड़ा या फिर तोडफ़ोड़ होती है तो इस नुकसान की भरपाई इंश्योरेंस कम्पनी उठाएगी।