कुदरत ने ऐसी कई सौगातें दी हैं जिनमें स्वास्थ्य का खजाना छुपा हुआ है। तेल भी इनमें से एक है। आयुर्वेद के अनुसार तेलों में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। यदि आप रोजाना शरीर की तेल से मालिश करते हैं तो ये आपके शरीर को स्वस्थ रखता है, शरीर के अंगों को पोषण देकर आपकी त्वचा को जवां बनाता है। ऑयल मसाज त्वचा की कई परेशानियों से निजात दिलाता हैं। लेकिन यह जानना जरूरी हैं कि आपके लिए कौनसा तेल उपयोगी साबित होगा। तो आइये जानते हैं किस तेल में हैं कौनसे गुण।
मीठे बादाम का तेलयदि आपकी त्वचा बहुत ज्यादा ड्राई रहती है तो आपको बादाम का तेल बॉडी मसाज के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें हल्की सुगंध होती है और ये बहुत हल्का तेल होता है। इस तेल को त्वचा तुरंत सोख लेती है जिससे त्वचा की ड्राईनेस कम होती है और चमकदार बनती है। इस तेल को किसी भी प्रकार की त्वचा पर इस्तेमाल किया जा सकता है, यहां तक की बच्चों की मालिश के लिए भी इस तेल का इस्तेमाल हो सकता है। मीठे बादाम के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं, जो कि त्वचा की खुजली, रैशेज, डर्मेटाइटिस, एक्जिमा और सोरायसिस से निजात दिलाता है। साथ ही यह टैनिंग और यूवी रेडिएशन के एक्सपोजर से त्वचा को होने वाले नुकसान से भी बचाता है। इस तेल में मौजूद दर्द-निवारक गुण मसल्स को रिलैक्स करने में मदद करते हैं।
नारियल तेलतनाव और प्रदूषण के कारण समय से पहले त्वचा की उम्र को बढ़ने से रोकने में नारियल तेल आपकी मदद कर सकता है। नारियल तेल विटामिन ई से भरपूर होता है जो कि जवां और हेल्दी त्वचा के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को लटकने और झुर्रियों से बचाते हैं। कुछ देर नारियल का तेल लगाने पर ये त्वचा में जल्दी एब्जॉर्व हो जाता है। ये तेल त्वचा की शुष्कता दूर करते हुए नमी बनाए रखने में मदद करता है।
मूंगफली का तेलयह खाने में स्वादिष्ट व पचने में हल्का है। प्रोटीन से भरपूर यह तेल रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित कर हृदय रोगों से बचाता है। जोड़ों के दर्द में इससे मालिश करने से आराम मिलता है।
अलसी का तेल यह औषधीय गुणों व विटामिन-ई से भरपूर है। त्वचा जलने पर इसे लगाएं, दर्द व जलन से राहत मिलेगी। कुष्ठ रोगियों के लिए यह फायदेमंद है।
तिल का तेलमसाज के लिए आयुर्वेद में सबसे लोकप्रिय तिल का तेल है। आयुर्वेद में त्वचा संबंधी समस्याओं केउपचार के लिए तिल के तेल को बेस ऑयल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो फ्री रेडिकल्स से त्वचा को नुकसान होने से बचाते हैं और यूवी रेज के कारण हुए त्वचा के नुकसान को ठीक करने में मदद करता है। साथ ही जोड़ों में सूजन के दर्द से राहत दिलाता है। आयुर्वेद में हाइपर-पिगमेंटेशन के इलाज के लिए तिल के तेल का इस्तेमाल विशेष रूप से होता है।
जैतून का तेलमांसपेशियों में ऐंठन, दर्द और सूजन से राहत के लिए जैतून के तेल का इस्तेतमाल किया जाता है। यह त्वचा को लंबे समय तक मॉइस्चराइज करता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को दूर कर त्वचा की क्षति को ठीक करता है। अन्य तेलों के मुकाबले यह त्वचा में बहुत देर से अवशोषित होता है। यह रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जिससे कोशिकाओं को अधिक पोषण और ऑक्सीजन मिलती है। इससे ऊर्जा बढ़ती है।
सूरजमुखी का तेलइस तेल का इस्तेमाल कुकिंग के अलावा मसाज के लिए भी होता है। सूरजमुखी के तेल में लिनोलिक और ओलिक एसिड होते हैं जो कि त्वचा में नमी को लंबे समय तक बरकरार रखते हैं। यह त्वचा से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल त्वचा को मॉइस्चराइज रखता है और त्वचा को जवां रखता है। इस तेल में आवश्यक फैटी एसिड होने से त्वचा चमकदार होती है।