वास्तु का आपकी सेहत से भी हैं गहरा नाता, जानें किस तरह करती हैं प्रभावित

वास्तु का हमारे जीवन के हर पहलू से गहरा नाता हैं जो जीवन में सकारात्मकता और नकारात्मकता को प्रभावित करते हैं। वास्तु का आपकी सेहत से भी नाता जुड़ा होता हैं। वास्तु की दिशाएं रोगों के उपचार में प्रभावी होती हैं और आपकी सेहत पर असर डालती हैं। जातक का दिशा से नाता होता हैं और इसके नियमों में अनदेखी शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह वास्तु की दिशाएं आपकी सेहत को कैसे प्रभावित करती हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

अगर हो हाई बीपी प्रॉब्‍लम

वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर क‍िसी जातक को हाई बीपी की प्रॉब्‍लम हो तो उन्‍हें अपनी सोने की द‍िशा जरूर देखनी चाह‍िए। ऐसे जातकों को कभी भी अग्नि कोण या फ‍िर पूर्व द‍िशा में नहीं सोना चाह‍िए। बल्कि हमेशा ईशान कोण में ही सोना चाह‍िए। ऐसा न‍ियम‍ित रूप से करें तो लाभ म‍िल सकता है।

अगर हो लो बीपी प्रॉब्‍लम

वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर क‍िसी जातक को लो बीपी की प्रॉब्‍लम हो तो उन्‍हें कभी भी पूर्व या पश्चिम में नहीं सोना चाह‍िए। बल्कि ऐसे जातकों को हमेशा आग्‍नेय कोण में सोना चाह‍िए। मान्‍यता है क‍ि इस द‍िशा में सोने से जातकों को लो बीपी की समस्‍या से राहत म‍िल सकती है। लेक‍िन यह न‍ियम‍ित रूप से करना चाह‍िए।

अगर हो डाइब‍िटीज की समस्‍या

वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर क‍िसी जातक को डाइब‍िटीज की समस्‍या हो तो कभी भी नैऋत्य कोण या फ‍िर दक्षिण द‍िशा में नहीं सोना चाह‍िए। अन्‍यथा द‍िक्‍कतें बढ़ सकती हैं। डाइबिटीज की समस्‍या झेल रहे जातकों को हमेशा अग्निकोण में ही सोना चाह‍िए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करना उनके लाभकारी साब‍ित हो सकता है।

अगर संतान उत्‍पत्ति में बाधा हो तो

वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर क‍िसी जातक को संतान उत्‍पत्ति संबंधी समस्‍या हो तो उन्‍हें कभी भी ईशान कोण या फ‍िर आग्‍नेय कोण में नहीं सोना चाह‍िए। बल्कि हमेशा घर के बीचों बीच बने कमरे में ही सोना चाह‍िए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से संतान उत्‍पत्ति संबंधी समस्‍याएं दूर हो सकती हैं।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। lifeberrys हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क जरुर करें)