मलमास जारी हैं जिसे अधिकमास के रूप में भी जाना जाता हैं। इस माह को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता हैं लेकिन धार्मिक कार्यों का लाभ बहुत अधिक मिलता है। विष्णु के प्रिय इस माह को पुरुषोतम माह के नाम से जाना जाता हैं जिसमें किए गए कुछ कार्य आपके जीवन की परेशानियों को दूर कर सुख-समृद्धि का आगमन करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे वास्तु उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको कर अपने घर पर खुशियों का आगमन किया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं इन वास्तु उपायों के बारे में।
सबसे पहले तो जप लें ये विशेष मंत्र
वर्तमान कैलेंडर वर्ष 2020 में 18 सितंबर दिन रविवार से शुरू हुआ मलमास अभी 16 अक्टूबर दिन शुक्रवार तक चलेगा। इस महीने को “पुरुषोत्तम मास” भी कहा जाता है, इसका अर्थ है सर्वश्रेष्ठ पुरुष, जिसका अर्थ स्वयं भगवान कृष्ण के अलावा कोई नहीं है। इसलिए, भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण की पूजा करना सबसे अच्छा है और सर्वश्रेष्ठ मंत्र है ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ और ‘श्री कृष्णाय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से श्रीहरि अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
मलमास में भोजन के इस नियम का रखें ध्यान
वास्तुशास्त्र के अनुसार मलमास में दिन में केवल एक बार भोजन ही करना चाहिए और भोजन करते समय एक भी शब्द नहीं बोलना चाहिए। इसके अलावा गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। तीर्थस्थलों पर जाना बहुत ही शुभ माना जाता है। लेकिन वर्तमान महामारी की स्थिति में अपने घर पर रहकर ही स्नान के जल में गंगा जल डालकर स्नान करें और श्रीहरि की पूरी निष्ठा से और नियमित रूप से पूजा करें।
मलमास में इसका दान होता है शुभ
वास्तुशास्त्र के अनुसार मलमास में दीपक का दान भी सबसे शुभ माना जाता है विशेष रूप से दामाद को किसी भी मीठी वस्तु के 33 टुकड़ों के साथ तांबे, चांदी या सुनहरे दीपक का दान करना भी शुभ माना जाता है। ध्यान रखें पूरे 24 घंटे के लिए शुद्ध घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से श्रीहरि के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी कृपा बरसती है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
मलमास में यह दान करना तो बिलकुल न भूलें
वास्तुशास्त्र के अनुसार मलमास में व्यक्ति को विशेष रूप से पीले रंग की मिठाई, फल या कपड़े दान करने चाहिए। यह भगवान विष्णु का सबसे पसंदीदा रंग है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने के दौरान चढ़ाए गए सभी आध्यात्मिक प्रसाद और दान या आध्यात्मिक सेवाएं सामान्यतौर पर 16 लाख गुना अधिक लाभ देती हैं। इसके अलावा अनाथालयों या वृद्धाश्रमों में दान जरूर करें। ऐसा करना शुभ फल देता है।