प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और एकता का जीवंत प्रतीक भी है। हर बारह वर्षों में आयोजित होने वाले इस महापर्व में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। महाकुंभ को आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि महाकुंभ की पवित्र भूमि पर कदम रखते ही जीव के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
श्रद्धालु देश-विदेश से यहां गंगा स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आते हैं। महाकुंभ के महत्व को बढ़ाते हुए इसे भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का महासंगम कहा गया है। महाकुंभ स्नान केवल शारीरिक शुद्धि नहीं, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी एक माध्यम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्नान के दौरान मंत्रों का जाप करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और साधक की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
किन मंत्रों का जाप करें?मंत्र वेदों की ऋचाएं हैं, जो देवी-देवताओं का आह्वान करने का माध्यम बनती हैं। महाकुंभ स्नान के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं:
- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।- गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति।।
- ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।इसी प्रकार गंगा स्रोत का गंगेय श्लोक भी अत्यंत पवित्र माना गया है। इस मंत्र में मां गंगा की महिमा का वर्णन किया गया है और उनके चरणों में अपने पापों से मुक्ति की प्रार्थना की गई है।
गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम् ।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम् ॥
देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥इसके अलावा, जिन श्रद्धालुओं को ये मंत्र याद नहीं रहते वे महादेव के मंत्र बोल सकते हैं। माना जाता है कि मां गंगा इससे प्रसन्न होती हैं।
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।इसके अतिरिक्त जातक 'ॐ नमः शिवाय' का भी जाप कर सकते हैं। इस शिव वंदना को पावरफुल मंत्रों में से एक माना जाता है।