श्राद्ध पक्ष 2020 : पितृदोष का कारण बन सकती हैं ये 10 गलतियां

इस साल 1 सितंबर, 2020 से श्राद्ध शुरू होने जा रहे है। श्राद्ध के दिनों की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती हैं जो कि आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या तक चलती हैं। इन श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें तर्पण दिया जाता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान कई नियमों का ध्यान देने की भी जरूरत होती हैं अन्यथा आपकी गलतियां पितृदोष का कारण बन सकती हैं। तो आइये जानते हैं उन सावधानियों के बारे में जो श्राद्ध पक्ष के दौरान ध्यान रखी जानी चाहिए।

- श्राद्ध पक्ष में अगर कोई भोजन पानी मांगने आए तो उसे खाली हाथ नहीं जाने दें। मान्यता है कि पितर किसी भी रूप में अपने परिजनों के बीच में आते हैं और उनसे अन्न पानी की चाहत रखते हैं।

- गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन्हें श्राद्ध पक्ष में मारना नहीं चाहिए। बल्कि इन्हें खाना देना चाहिए।

- मांसाहारी भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा के सेवन से परहेज करना चाहिए। शराब और नशीली चीजों से बचें।

- परिवार में आपसी कलह से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। इन दिनों स्त्री पुरुष संबंध से बचना चाहिए।

- नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ नहीं बनाना चाहिए। क्योंकि श्राद्ध पक्ष पितरों को याद करने का समय होता है। यह एक तरह से शोक व्यक्त करने का तरीका है।

- पितृपक्ष के दौरान जो भी भोजन बनाएं उसमें से एक हिस्सा पितरों के नाम से निकालकर गाय या कुत्ते को खिला दें।

- भौतिक सुख के साधन जैसे स्वर्ण आभूषण, नए वस्त्र, वाहन इन दिनों खरीदना अच्छा नहीं माना गया है। क्योंकि यह शोक काल होता है।

- पितृपक्ष के दौरान किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोले और कटु वचन से किसी को दुख पहुंचाएं।

- पितृपक्ष के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर का कोई भी कोना अंधेरे में न रहे।

- पितृपक्ष में कुल की मर्यादा के विरुद्ध कोई आचरण न करें।