जानिए गणगौर के विशेष गीत जो जरूरी है

गणगौर  विशेष रूप से राजस्थान और कुछ मध्यप्रदेश के भागों में मनाया जाता है।  कुँवारी लड़कियां अपने भावी पति और विवाहित स्त्रियां अपने पतियों के लिए ये पूजा अर्चना करती हैं। 
होलिका दहन के दुसरे दिन से प्रारम्भ होने वाला ये त्यौहार पूरे 16 दिनों तक  है।  महिलाएं मंगल गीत गाते हुए अपने पीहर और ससुराल के अच्छे भविष्य की कामना करती हैं। अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करते हुए कई गीत गाती हैं जिसमे अपने परिजनों का नाम लिया जाता है।
गणगोर पर कई गीत बने है उन्ही गीतों में से कुछ लाइनें  हम आपको यहाँ रूबरू करवा रहें है। इन गीतों में महिलाएं गणगोर के अंतिम दिन चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया को  पूजा करते हुए अपने पति का नाम लिए बिना इनके माध्यम से अपना प्रेम प्रकट करती हैं।

गणगौर के पहले साजो श्रृंगार तो हर कोई कर लेता है लेकिन ईसर जी को पानी पिलाते हुए अपने पति का नाम लेने मे आज भी सभी शरमाते है।                       

सीखे हमसे कुछ नए अंदाज-

1.सोने के कडे मे हीरे है जडे पीछे पलटकर देखू तो पिया जी है खड़े।
                       
2. पिंजरे मे बैठा तोता उड़ने का मन करता. पिया जी बैठे ऑफिस. मे मिलने का मन करता।
              
3. पिता के बगीया की हूं मै कली पिया जी के आंगन को महकाने चली।
          
4. हारो मे हार नव लख्खा हार उसी तरह चमकता रहे पिया जी और मेरा संसार।
                 
5. गाड़ी का हॉर्न बजे पम पम पम पियाजी के साथ जाऊ छ्म छ्म छ्म।
           
6, वीणा से निकली रागिनी पिया जी के साथ बनी मे सुहागिनी।

7.चांद ने चांदनी को कहा चल , सूरज ने किरणोसे कहा ढल , पिया जी ने मेरे कानो में कहा मेरे साथ चल , मैने कहा आज नही कल।

8. अंग्रेजी मे टमाटर को कहते है टमैटो पियाजी के हाथो मे मेरा फोटो।

9. हरी कूटी, लाल कूटी . बैंगन है चौबारा छोड़ो जी छोड़ो पिया आधा पंलग हमारा।
                  
10.चाय गरम पोहे गरम पियाजी का नाम लेने मे काहे की शरम।