इन 7 चीजों से दोस्‍ती आपके जीवन को बना सकती है स्वर्ग, हर मुश्किल होगी आसान

तुलसीदासजी की रचना रामचरितमानस में बताई गई बातें अपनेआप में बेहद अनमोल हैं जिसका जीवन के हर पहलू से मतलब होता हैं और हर मोड़ पर मनुष्‍य की मदद करती हैं। रामचरितमानस में एक दोहे का वर्णन करते हुए बताया गया हैं कि कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका साथ मिल जाए तो जीवन की हर मुश्किल को आसान बनाया जा सकता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको 7 ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें मनुष्य को दोस्त बना लेना चाहिए और अपने जीवन को स्वर्ग। तो आइये जानते हैं उनके बारे में।

साहस

साहस मनुष्‍य का सबसे बड़ा दोस्‍त होता है। अगर आपके अंदर साहस है तो फिर कैसी भी मुसीबत क्‍यों न आ जाए, आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। इसलिए मनुष्‍य को अपना साहस सदैव बनाकर रखना चाहिए, क्‍योंकि विपत्ति आने पर साहस के साथ ही आप डटकर सामना कर सकते हैं।

बुद्धि

विपत्ति काल में तीसरा सबसे अहम दोस्‍त जो आपके काम आता है वह है आपकी बुद्धि। बुद्धि के प्रयोग और सूझबूझ भरे फैसले लेकर ही आप किसी संकट से उबर सकते हैं। इसलिए हमेशा धैर्य के साथ अधिक से अधिक बुद्धि प्राप्‍त करने का प्रयास हम सबको करते रहना चाहिए। ताकि विपत्ति आने पर हम उस बुद्धि का प्रयोग कर सकें।

ज्ञान या शिक्षा

तुलसीदासजी के अनुसार अगर आपके पास ज्ञान रूपी या शिक्षा रूपी मित्र है तो विपत्ति के वक्‍त आप अपने ज्ञान का प्रयोग करके कोई सही निर्णय ले सकते हैं और उस विपत्ति से पार पा सकते हैं। अगर आपने अपने जीवन में ज्ञान प्राप्‍त नहीं किया तो विपत्ति का सामना कैसे करना है आप यह समझ ही नहीं पाएंगे।

विनम्रता

तुलसीदासजी की मानें तो आपका दूसरा सबसे अहम दोस्‍त विनम्रता है। कुछ लोग विपत्ति आने पर अपना आपा खाने लगते हैं और एक-दूसरे पर बरसने लगते हैं। यह सही नहीं है। हमें विपत्ति के वक्‍त भी अपनी विनम्रता नहीं खोनी चाहिए। विनम्रता होने पर ही सामने वाला व्‍यक्ति आपकी बात सुनेगा और तब ही आपकी समस्‍या का समाधान निकलेगा।


ईश्‍वर में विश्‍वास

हमें यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि कोई भी संकट हो और कोई भी मुसीबत हो भगवान हर वक्‍त हमारे साथ खड़े हैं और वह वही करेंगे जो हमारे लिए अच्‍छा होगा। इसलिए हमें ईश्‍वर में आस्‍था सदैव बनाकर रखनी चाहिए। वही हर संकट से हमें उबारते हैं।

अच्‍छे कर्म

शास्‍त्रों में भी ऐसा कहा गया है आपके अच्‍छे कर्म सदैव आपका साथ देते हैं। हमें अपने अच्‍छे कर्मों को कभी भी त्‍यागना नहीं चाहिए। विपत्ति के वक्‍त हमारे अच्‍छे कर्मों से प्राप्‍त पुण्‍य ही हमारी रक्षा करते हैं। इसलिए हमें सदैव अपने अच्‍छे कर्म करते रहना चाहिए और ये अच्‍छे कर्म ही हमें हर संकट से उबारते हैं।

सच बोलने की आदत

हर व्‍यक्ति के अंदर सच बोलने की आदत होनी चाहिए और सच का सामना करने का साहस होना चाहिए। सच बोलने की आदत और साहस हमें वो शक्ति प्रदान करता है जिसके बल पर हम कठिन से कठिन स्थितियों का डटकर सामना कर सकते हैं।