आपकी सभी समस्याएं दूर करेगा पौष पूर्णिमा का व्रत, जानें पूजा विधि और किए जाने वाले उपाय

आज 17 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा तिथि है जिसका व्रत बहुत महत्व रखता हैं। इस तिथि का धार्मक लिहाज से बहुत महत्व होता है जिसमें चंद्रमा के साथ साथ विष्णुजी की पूजा की जाती है। पूर्णिमा का व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा के व्रत से आपकी सभी परेशानियों का नाश होता हैं और यह वैवाहिक जीवन को सुखद बनाता है। आज इस कड़ी में हम आपको पौष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि और किए जाने वाले उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं जो शुभ फल प्रदान करेगी। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

पौष पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

- पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में थोड़ा गंगा जल डालकर स्नान करें।
- इसके बाद भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
- इसके उपरांत विधिपूर्वक भगवान सत्यनारायण का पूजन करें और पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके उपरांत भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़ें।
- दिन भर व्रत रखकर भगवान का मनन करें।
- रात में चंद्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें।

पौष पूर्णिमा के दिन करें ये काम

- पौष पूर्णिमा के दिन स्नान के पश्चात भगवान सूर्यदेव और चंद्रदेव को अर्घ्य देने और दान करने से पुण्य लाभ मिलता है।
- पौष पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके नारंगी और हल्के लाल रंग के वस्त्र धारण करके सूर्यदेव को अर्घ्य चढ़ाना चाहिए।
- पूर्णिमा के दिन चावल का दान शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है, क्योंकि चावल का संबंध चंद्रमा से होने के कारण इस दिन चावल का दान अवश्‍य ही करना चाहिए।
- पौष पूर्णिमा के दिन पानी में गंगाजल मिला कर तथा कुश हाथ में लेकर स्नान करने और पितृ तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- सुबह स्नान के पश्चात तांबे के लोटे में जल भरकर और उसे अपने दोनों हाथों की हथेली में रखकर 27 बार ऊंचे स्वर में 'ॐ' मंत्र का जाप करें, तत्पश्चात इस जल को अपने घर में सभी स्थानों पर छिड़क देने से जीवन में शुभता आती है।
- मान्यतानुसार हर पूर्णिमा की तरह ही पौष पूर्णिमा के दिन भी पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अत: सुबह स्नान के पश्‍चात पीपल के वृक्ष के सामने कुछ मीठा चढ़ाएं और फिर जल अर्पित करके मां लक्ष्मी से प्रार्थना करनी चाहिए।
- पौष पूर्णिमा के दिन 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का 108 बार रुद्राक्ष की माला से जाप करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
- अगर पति-पत्नी पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देते हैं तो उनके दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
- अगर आप आर्थिक समस्या के दौर से गुजर रहे हैं तो पौष पूर्णिमा की रात चंद्रोदय के समय कच्चे दूध में चीनी और चावल डालकर चंद्रदेव को निम्न मंत्र 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:' या 'ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:' का जप करते हुए अर्घ्य देने आपकी समस्या धीरे-धीरे दूर हो जाएगी।
- पौष पूर्णिमा के दिन भोजपत्र पर लाल चंदन से 3 बार गायत्री मंत्र लिखकर अपने पर्स में रखने से लाभ मिलता है, तथा निरंतर धन प्राप्ति के योग बनते हैं।