भाई दूज के दिन मथुरा के विश्राम घाट पर किया जाता हैं स्नान, मनाए इस तरह

दिवाली के दूसरे दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता हैं जो कि इस बार 16 नवंबर को हैं। इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि इससे जुड़ी पौराणिक कहानी यम और यमुना से ही जुड़ी हुई हैं। इस दिन का रिश्ता भाई-बहिन को समर्पित होता हैं जिसमें हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई के माथे पर तिलक कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। इस दिन मथुरा के विश्राम घाट पर भाई–बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं। यम की बहन यमुना है और विश्वास है कि आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यम उनकी सभी परेशानियां खत्म कर देते हैं।

इस दिन भाई-बहन सुबह सवेरे स्नान करके नये वस्त्र धारण करते हैं। बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठा कर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं और भाई को रोली का टीका भी लगाती है। इस दिन प्रातःकाल चंद्र-दर्शन की परंपरा है और सायंकाल घर के बाहर चार बत्तियों वाला दीपक जलाकर दीप-दान करने का नियम भी है। मान्यता है कि ऐसा करने से कल्याण और समृद्धि प्राप्त होती है। शाम को यमराज को दीपक समर्पित करते हुए आसमान में चील उड़ता दिखाई देना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि बहनें भाई की लंबी आयु की जो कामना कर रही है उस संदेश को चील जाकर यमराज को सुनाएगा।

कैसे मनाएं भाई दूज

इस दिन यमुना की तरह बहनें भी अपने भाई की पूजा करें। पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं। उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर भाई को प्रणाम करें। कहीं-कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं। भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिश्री खिलाती हैं। भाई भी बहन को स्वर्ण, वस्त्र, आभूषण तथा द्रव्य देकर प्रसन्न करे। बहन के चरण स्पर्श कर आशीष लें। बहन चाहे छोटी या आयु में बड़ी हो उसके चरण स्पर्श अवश्य करें। संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं।

यम द्वितिया का महत्व

जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का भोजन करता है, उसे धन, आयुष्य, धर्म, अर्थ और अपरिमित सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन देवी यमुना और धर्मराज यम की पूजा करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। बहन यमुना के कारण इस दिन यमराज की पूजा करने से कष्ट दूर हो जाते हैं और अकाल मृत्यु का भी भय नहीं रहता है। परेशान लोगों को इस दिन यमराज से विशेष प्रार्थना करनी चाहिए। इस दिन यमराज के आशीर्वाद से हर तरह की समस्या खत्म हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि भाईदूज के दिन बहन और भाई के प्रेम को देखकर धर्मराज यम प्रसन्न होते हैं।