गोबर से गोवर्धन पर्वत बना की जाती हैं परिक्रमा, मोक्ष की प्राप्ति करवाएगा पूजन

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि अर्थात दिवाली के अगले दिन को गोवर्धन पूजा की जाती हैं जी कि इस बार 15 नवंबर को होनी हैं। इस दिन महिलाएं घर के द्वार पर गोबर से प्रतीकात्मक रूप में गोवर्धन पर्वत बनाती हैं और उसका पूजन कर परिक्रमा की जाती हैं। गोवर्धन पर्वत को गिरिराज जी के नाम से भी जाना जाता हैं जिनकी परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज इस कड़ी में हम आपको गिरिराज जी की परिक्रमा से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं।

श्री गिरिराज की परिक्रमा 7 कोस (21 किलोमीटर) की होती है और इस दिन हजारों लाखों लोग इस परिक्रमा को करने आते हैं। गोवर्धन पूजा से भक्तों को कृष्ण भगवान की विशेष कृपा मिलती हैं। श्री गिरिराज जी की पूरी और संपूर्ण परिक्रमा में दो दिन लगते हैं। इसके तहत एक छोटी परिक्रमा होती है और दूसरी बड़ी परिक्रमा। जब भक्त गाजे बाजे के साथ गोवर्धन पर्वत का चक्कर लगाते हैं तो इस बीच गोवर्धन नामक गांव भी आता है। पर्वत के उत्तर में राधाकुंड और दक्षिण में पुछारी गांव पड़ता है।

छोटी परिक्रमा में भक्त राधाकुंड गांव तक जाकर वहां से लौटते हैं जो 6 किलोमीटर का फासला है। जबकि बड़ी परिक्रमा में पूरे सात कोस यानी 21 किलोमीटर तक गोवर्धन पर्वत का चक्कर लगाना होता है जिसमें कई गांव और कुंड पड़ते हैं। आमतौर पर लोग एक ही दिन में सात कोसी परिक्रमा करना पसंद करते हैं क्योंकि इसके बारे में कहा जाता है कि एक दिन में सात कोसी परिक्रमा बड़ा फल देती है।

गोवर्धन पर्वत के बारे में कहा जाता है कि ये 4 से 5 मील तक फैला हुआ है। इसके बारे में मान्यता है कि कभी ये तीस हजार मीटर ऊंचा था लेकिन पुलत्सय ऋषि ने इसे शाप दिया और कहा कि तुम रोज एक मुट्ठी सिकुड़ते रहोगे। तब से यह पर्वत लगातार अपनी ऊंचाई खोता जा रहा है और अब बमुश्किल 30 मीटर ऊंचा रह गया है।

कहा जाता है कि कृष्ण के काल में यह पर्वत बहुत ही हरा भरा और रमणीक था। यहां लता कंदराएं और कई गुफाएं भी थी। यहां से कुछ ही दूरी पर यमुना नदी बहा करती थी। पर्वत के ऊपर श्री गोविंद देव जी का मंदिर है और वहीं पर एक गुफा भी है। मंदिर के बारे किवदंती है कि यहां आज भी श्रीकृष्ण शयन करने आते हैं। मंदिर में स्थित गुफा के बारे में कहा जाता है कि ये नीचे नीचे ही राजस्थान के श्रीनाथ द्वारा तक जाती है। गोवर्धन पर्वत के बारे में मान्यता है कि इस चमत्कारी पर्वत की परिक्रमा करने वालों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है उसके जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रहती।