पापमुक्त कर मोक्ष दिलाता है गंगा सप्तमी पूजन, जानें इसकी पूर्ण विधि

आज बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि हैं जिसे गंगा सप्तमी के रूप में जाना जाता है। आज ही के दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी और वो स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी। आज के दिन किए गए गंगा स्नान से मनुष्य के जीवन के सभी पाप धूल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हांलाकि लॉकडाउन के चलते ऐसा हो पाना मुश्किल हैं। ऐसे में आज हम आपको घर पर ही इसके पूजा की विधि बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- गंगा सप्तमी के दिन साधक को सुबह प्रात: काल जल्दी गंगा तट पर जाकर गंगा नदी में स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद उसे मां गंगा को पुष्प अर्पित करने चाहिए और गंगा नदी के तट पर दीपक प्रजवल्लित करना चाहिए।

- दीपक प्रज्वल्लित करने के बाद गंगा सप्तमी की कथा पढ़ें।
- किसी योग्य पुरोहित के माध्यम से गंगा नदी के घाट पर अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए।
- इसके बाद किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को अपने पितरों के नाम से दान अवश्य देना चाहिए।
- दान देने के बाद गाय को भोजन अवश्य कराएं। क्योंकि गाय में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है।
- इसके बाद शाम के समय फिर से गंगा घाट पर जाए।

- गंगा घाट पर जाने के बाद फिर से गंगा जी का विधिवत पूजन करें।
- पूजन करने के बाद मां गंगा की आरती उतारें।
- इसके बाद मां गंगा से अपने पापों के लिए श्रमा अवश्य मांगे।
- गंगा सप्तमी पर स्नान करते समय पहले रुद्राक्ष सिर पर रखें। इसके बाद जल सिर पर डालें और यह मंत्र बोलें- रुद्राक्ष मस्तकै धृत्वा शिर: स्नानं करोति य:। गंगा स्नान फलं तस्य जायते नात्र संशय:।।