दशहरा विशेष : रावण से जुड़े रोचक तथ्य

“रावण” तो सिर्फ एक ही है दुनिया में इस नाम का कोई दूसरा व्यक्ति नही है। राम तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन रावण नही। रामायण यूं तो राम की कहानी कहती है, लेकिन रावण के बिना यह अधूरी ही है। रामायण में रावण को नकारात्मक चरित्र में प्रदर्शित किया गया है। उसे अधर्मी और अराजकता के प्रतीक के तौर पर दिखाया गया है। लेकिन रावण से जुड़े कई ऐसे तथ्य भी है जो कि आश्चर्यजनक हैं, आइये जानते हैं उन तथ्यों के बारे में।

# रावण के दादाजी का नाम प्रजापति पुलत्स्य था जो ब्रह्मा जी के दस पुत्रो में से एक थे। इस तरह देखा जाए तो रावण ब्रह्मा जी का पडपौत्र हुआ जबकि उसने अपने पिताजी और दादाजी से हटकर धर्म का साथ न देकर अधर्म का साथ दिया था।

# रावण को वेद और संस्कृत का परम ज्ञानी था। साम वेद में निपुणता के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था।उसने शिव तांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की। इतना ही नहीं पद पथ (वेदों को पढ़ने का एक तरीका) में भी उसे महारत हासिल थी।

# रामायण में एक जगह यह भी बताया गया है कि रावण ने भगवान राम के लिए यज्ञ किया था। वो यज्ञ करना रावण केलिए बहुत जरुरी था क्योंकि लंका तक पहुचने के लिए जब राम जी की सेना ने पुल बनाना शुरू किया था तब शिवजी का आशीर्वाद पाने से पहले उसको राम जी का आराधना करनी पड़ी थी।

# आयुर्वेद के क्षेत्र में भी रावण का अप्रतिम योगदान है। उसने अर्क प्रकाश नाम से एक पुस्तक की भी रचना की थी जिसमें आयुर्वेद से जुड़ी काफी अहम जानकारियों को शामिल किया था।

# रावण अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान माना जाता है और रामायण में बताया गया है कि जब रावण मृत्यु शय्या पर लेटा हुआ था तब राम जी ने लक्ष्मण को उसके पास बैठने को कहा था ताकि वो मरने से पहले उनको राजपाट चलाने और नियन्त्रण करने के गुर सीखा सके।

# रावण एक महान योद्धा तो था ही, सौंदर्य बोध में भी उसके भीतर कूट-कूट कर भरा था। रावण ने कई कविताओं और श्लोकों की रचनाएं की थीं। शिवतांडव इन्हीं रचनाओं में से एक है।

# आयुर्वेद के प्रति रुझान के चलते ही उसने स्त्री रोगविज्ञान और बाल चिकित्सा जैसे विषयों पर भी कई पुस्तकों की रचना की थी। इनमें करीब 100 से ज्यादा बीमारियों के निवारण का जिक्र किया गया था।