वास्तु अनुसार किस दिशा में लगाएं पितरों की तस्वीरें, जानिए

अक्सर हमारे घरों में पूर्वजों यानी पितरों की तस्वीरें आदर और श्रद्धा के साथ लगाई जाती हैं। यह माना जाता है कि इन तस्वीरों के माध्यम से पूर्वजों की कृपा बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर इन तस्वीरों को वास्तु नियमों के विरुद्ध दिशा में लगाया जाए, तो यह घर के लिए शुभ की जगह अशुभ फल भी ला सकता है? वास्तु शास्त्र में पितरों की तस्वीर लगाने के लिए विशेष दिशाओं और नियमों का उल्लेख किया गया है। यदि इन नियमों की अनदेखी हो, तो घर में विवाद, गरीबी और अशांति का वातावरण उत्पन्न हो सकता है।

पितरों की तस्वीर लगाने की उचित दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की तस्वीरें उत्तर दिशा की दीवार पर लगानी चाहिए, जिससे उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर रहे। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना गया है। जब तस्वीर उत्तर दिशा में होती है, तब वह प्राकृतिक रूप से दक्षिण दिशा की ओर देखती है। यह स्थिति पूर्वजों को सम्मान देने वाली मानी जाती है। विशेष ध्यान रखें कि तस्वीर दक्षिण या पश्चिम की दीवार पर न लगाई जाए, क्योंकि यह घर की समृद्धि को प्रभावित कर सकती है।

किन स्थानों पर नहीं लगानी चाहिए तस्वीरें

वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि पितरों की तस्वीरें कभी भी लिविंग रूम, बेडरूम, या किसी ऐसी जगह पर नहीं लगानी चाहिए जहाँ बाहरी लोगों की नजर आसानी से पहुंचती हो। इससे नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, पूजा घर में भी पितरों की तस्वीरें लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि देवताओं और पितरों का स्थान अलग-अलग होता है और उनकी पूजा एक साथ करना अनुचित माना गया है। इससे घर में बाधाओं और विपत्तियों का प्रवेश हो सकता है।

पितरों की तस्वीर लगाने के कुछ विशेष नियम

- किसी भी पूर्वज की एक से अधिक तस्वीर घर में नहीं लगानी चाहिए। इससे पितर क्रोधित हो सकते हैं।

- तस्वीर को दीवार से लटका कर न रखें। इसे फ्रेम में सजाकर किसी अलमारी या शेल्फ पर सम्मानपूर्वक रखें।

- पितरों की तस्वीर के साथ जीवित परिजनों की तस्वीर न लगाएं। यह जीवित व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।