Christmas 2018: अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए आए थे 'ईसा मसीह', दिया था सत्‍य, करुणा और प्‍यार का संदेश, उनके जीवन से जुड़ी खास बातें

25 दिसंबर को सारी दुनिया में हर्षोल्लास के साथ क्रिसमस यानि की खुशियों का त्योहार मनाया जा रहा है। इसे बड़ा दिन (Bada Din) भी कहते हैं। क्रिसमस (Christmas) का नाम भी क्रिस्ट (Christ) से पड़ा। बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है। इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हुआ। लेकिन 336 ई। पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट (First Christian Roman Emperor) के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया। इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस (Pop Julius) ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया। जीसस इस धरती पर लोगों को जीवन की शिक्षा देने के लिए आए थे। जीसस ने कहा था कि ईश्वर सभी लोगों से प्रेम करते हैं और हमें ईश्वर की सेवा करनी चाहिए। ईसाई लोग ईसा मसीह को परमपिता परमेश्वर का पुत्र (Son of God) मानते हैं। ईसा मसीह को यीशु (Jesus Christ) के नाम से भी पुकारा जाता है। ईसाई धर्म के लोगों का मानना है कि जीसस दुनिया में लोगों को सही रास्ता दिखाने आए थे। आज हम आपको ईसा मसीह से जुड़ी 5 बातें बता रहे हैं।

ईसा मसीह (Isa Masih) से जुड़ी 5 बातें

- ईसाई मान्यताओं के अनुसार आज से हजारों साल पहले नासरत में गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि तू पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र देगी जिसका नाम यीशु रखा जाएगा। बैतलहम में मरियम ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम यीशु रखा।

- ईसाई धर्म के अनुसार ईसा मसीह (Isa Masih) परमेश्वर के पुत्र थे। उन्‍हें मृत्‍यु दंड इसलिए दिया गया था क्‍योंकि वो अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए लोगों को श‍िक्षित और जागरुक कर रहे थे। उस वक्‍त यहूदियों के कट्टरपंथी रब्‍बियों यानी कि धर्मगुरुओं ने यीशु का पुरजोर विरोध किया। कट्टरपंथ‍ियों ने उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस से यीशु की श‍िकायत कर दी। रोमन हमेशा इस बात से डरते थे कि कहीं यहूदी क्रांति न कर दें। ऐसे में कट्टरपंथ‍ियों को खुश करने के लिए पिलातुस ने यीशु को क्रॉस पर लटकाकर जान से मारने का आदेश दे दिया।

- मौत से पहले यीशु को ढेरों यातनाएं दी गईं। उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया। इसके बाद यीशु को गोल गोथा नाम की जगह ले जाकर सलीब पर चढ़ा दिया गया।

- प्राण त्‍यागने से पहले यीशु ने कहा था, 'हे ईश्‍वर! मैं अपनी आत्‍मा को तेरे हाथों में सौंपत हूं।'

- ईसा मसीह कहते हैं कि कभी किसी को नुकसान ना पहुंचाएं। जो लोग दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हें नरक में सजा दी जाएगी।

क्रिसमस के अवसर पर यहां जानिए ईसा मसीह की 7 ऐसी बातें, जिनसे जीवन के सभी दुख दूर हो सकते हैं...

- एक इंसान को दूसरे इंसान की सेवा करनी चाहिए। यही ईश्वर की सच्ची सेवा है। स्वार्थ भावना का त्याग करो।

- एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए, जैसा मैंने तुमसे प्रेम किया है, वैसा ही प्रेम तुम सभी से करो।

- जो लोग खुद की प्रशंसा करते हैं, उन्हें विनम्र होना चाहिए और जो विनम्र हैं उनकी प्रशंसा होनी चाहिए।

- लोगों को सिर्फ खाने के लिए नहीं जीना चाहिए, बल्कि परमात्मा के मुख से निकले हर शब्द की मुताबिक जीना चाहिए।

- ईसा मसीह कहते हैं कि व्यभिचार मत करो, किसी की हत्या, चोरी, लालच नहीं करना चाहिए, अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे खुद से करते हैं।

- जीसस ने कहा है कि संपन्न व्यक्ति के लिए स्वर्ग में प्रवेश करना कठिन है।

- अगर कोई व्यक्ति एकदम सही होना चाहता है तो उसे अपनी सारी संपत्ति बेचकर गरीबों को दान कर देनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को स्वर्ग का सुख मिल सकता है।