मौनी अमावस्या पर भूलकर भी ना करें ये काम, भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम

आज माघ मास की अमावस्या हैं जिसे मौनी अमावस्या के रूप में जाना जाता हैं। आज के दिन जप, तप, दान और पवित्र नदियों में स्नान कर ईश्वर की भक्ति की जाती हैं जो कि शुभ फलदायी होती हैं। आज के दिन मौन रहकर व्रत किया जाता हैं जिसका विशेष फल मिलता हैं। लेकिन इसी के साथ ही कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें मौनी अमावस्या के दिन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इनसे पितर नाराज हो जाते हैं और आपके जीवन को प्रभावित करते हैं। तो आइये जानते हैं उन कामों के बारे में जो आज के दिन न्महीं किए जाने चाहिए।

इस तरह की जगहों पर जाने से बचें

मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा के काले साये में नकारात्मक शक्तियां जल्दी जागृत हो जाती हैं, जो इंसान के लिए नुकसानदेय हो सकती हैं। इसलिए इस रात को भूलकर भी सुनसान जगह जैसे श्मशान घाट, कब्रिस्तान या किसी सुनसान जगह के आसपास भी नहीं जाना चाहिए। इस दिन लोग टोने-टोटके भी करते हैं। इसलिए जहां तक हो सके, ऐसी जगहों पर जाने से बचें।

कटु वाणी बोलने से बचें

मौनी अमावस्या के दिन सबसे ज्यादा ध्यान वाणी पर रखा जाता है। इस दिन वाणी और मन पर संयम रखना बेहद जरूरी माना गया है। मौनी का मतलब ही चुप रहने से है यानी स्नान से पूर्व कुछ भी न बोलें और इसके अलावा कोशिश करें कि पूरे दिन किसी का कुछ भी न शब्दों और न कर्मों से बुरा करें। वाद-विवाद और झगड़े से दूरी बनाकर रखने। वाणी पर संयम रखना ही इस व्रत का सबसे विशेष हिस्सा है।

किसी तरह का लोभ व मोह न करें

माघी अमावस्या मुनियों की अमावस्या है, इस दिन व्रत और मौन रखने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन भूलकर भी छल-कपट और धोखा धड़ी नहीं करनी चाहिए। इस दिन साधन और तप करके ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। माघी अमावस्य के दिन कोई भी विपरित कर्म कई गुना पाप का भागी बना सकता है। इसलिए इस दिन धन-दौलत का घमंड और लोभ न करें।

ऐसे भोजन से करें परहेज

मौनी अमावस्या का दिन उपासना का माना जाता है। अगर आप इस पवित्र दिन पर व्रत नहीं भी कर रहे हों तो कम से कम तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज के सेवन से परहेज करें। इस दिन सात्विक भोजन कर मन को पवित्र रखें और बुरी संगत से दूर रहें। लाल किताब के अनुसार, इस दिन तामसिक भोजन करने वाला खुद ही शनि महाराज को अपने सिर पर आने का निमंत्रण देता है अर्थात संकटों को बुलावा देता है।

पति-पत्नी ध्यान में रखें यह बात

मौनी अमावस्या के दिन जप, तप और दान का विशेष महत्व है। इस दिन मन पर संयम रखकर ईश्वर का ध्यान किया जाता है और मन को पवित्र रखा जाता है। ताकि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो सके। इसलिए स्त्री और पुरुष दोनों को यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से पितृगण नाराज होते हैं और उनकी कृपा से वंचित रह जाते हैं। मौनी अमावस्या को मुनियों की अमावस्या कहा गया है, ऐसा करने से कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।