तुलसी का पत्ता पूजा में बेहद शुभ, तोड़ने से पहले यह जानना बहुत जरूरी

हिन्दू घरों में आपको तुलसी का पौधा आसानी से देखने को मिला जाता हैं जिसकी प्रतिदिन पूजा की जाती हैं और इसके पत्तों को भगवान की पूजा में शामिल किया जाता हैं। जिस घर में हर रोज तुलसी की पूजा होती है, वहां देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय हैं और उनके प्रसाद में भी तुलसी का सेवन किया जाता हैं जिसे सेहत के लिए भी शुभ माना जाता हैं। लेकिन तुलसी का पत्ता तोड़ते समय आपको शास्त्रों में बताई कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत हैं। हम आपको इससे जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं कि इस पवित्र पौधे की पत्तियों को कौन से दिन तोड़ना चाहिए और कैसा तोड़ना चाहिए।

इन तिथियों को ना तोड़ें तुलसी दल

शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी दल को वैधृति और व्यतीपात इन दो योगों में नहीं तोड़ना चाहिए। वहीं रविवार, मंगलवार और शुक्रवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। एकादशी, द्वादशी तिथि, अमावस्या और पूर्णिमा इन तिथियों में नहीं तोड़ना चाहिए।

इस समय ना तोड़े तुलसी दल

तुलसी को संक्रान्ति के दिन और घर में जब किसी का जन्म हुआ और जब तक नामकरण ना हो जाए तब नहीं तोड़नी चाहिए। वहीं जब किसी की मृत्यु हो जाए, उस दिन से लेकर तेरहवीं तक तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। वहीं सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में भी तुलसीदल तोड़ना वर्जित बताया गया है।

इस तरह ना तोड़े तुलसी दल

शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए या फिर अशुद्ध हाथ से नहीं तोड़ना चाहिए, पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते। तुलसी को कभी भी चाकू, कैंची या फिर नाखून का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तुलसी का एक-एक पत्ता ना तोड़कर बल्कि पत्तियों के साथ उसके अग्र भाग को तोड़ना चाहिए।

इतने दिनों तक बासी नहीं होती तुलसी

शास्त्रों के अनुसार, अगर आप शालीग्राम की पूजा कर रहे हैं तो निषिद्ध तिथियों में भी तुलसी तोड़ी जा सकती हैं। तुलसी का पत्ता सात दिनों तक बासी नहीं होता है। अगर आपके पास ताजा पत्ता नहीं है तो बासी पत्ते को गंगाजल से धोकर कभी भी प्रयोग किया जा सकता है। वहीं हमेशा गिरी हुई तुलसी के पत्ते से पूजा करनी चाहिए।

जानिए तुलसी की मंजरी का महत्व

शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी के ऊपर मंजरी आ जाए तो उसे तोड़कर भगवान विष्णु को चढ़ा देनी चाहिए। ऐसा करने से तुलसी भी प्रसन्न होती हैं। क्योंकि तुलसी की मंजरी सभी फूलों से बढ़कर मानी जाती है। लेकिन ध्यान रहे कि मंजरी तोड़ते समय पत्तियों का रहना भी आवश्यक है। मंजरी को भगवान विष्णु को चढ़ाने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।